भीमा कोरेगांव हिंसा: महाराष्ट्र पुलिस का दावा, पीएम नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश के लिए जुटाए जा रहे थे पैसे
नक्सलियों से संबंध होने के मिले सबूत तभी हुई वामपंथी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी : महाराष्ट्र पुलिस
मुंबई:
देश के अलग-अलग हिस्सों से सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की नक्सलियों से संपर्क के आरोप में हुई गिरफ्तारी और बाद में उनको सुप्रीम कोर्ट द्वारा नजरबंद रखने के आदेश के एक दिन बाद महाराष्ट्र पुलिस ने अपनी सफाई दी है। भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में महाराष्ट्र पुलिस के एडीजी परमबीर सिंह ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि जब हमारे पास उनके नक्सलियों के साथ संबंध होने की पुख्ता जानकारी मिली तभी हमने उनलोगों के खिलाफ कार्रवाई किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा तथ्यों से साफ है कि उनके संबंध माओवादियों से हैं।
बता दें कि बीते मंगलवार को देश के अलग-अलग हिस्सों से पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को नक्सल समर्थक होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और इन पांचों सहित करीब 10 लोगों के आवास पर पुणे पुलिस ने छापेमारी की थी।
हैदराबाद में वरवर राव, दिल्ली में गौतम नवलखा, हरियाणा में सुधा भारद्वाज और महाराष्ट्र में अरुण फरेरा और वेरनोन गोंजैल्वस को मंगलवार को इस घटना के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
एडीजी पी बी सिंह ने कहा, '31 दिसंबर 2017 की (भीमा कोरेगांव में कार्यक्रम) घटना में हेट स्पीच दिए गए थे, इसी संबंध में 8 जनवरी को पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया था। घृणा फैलाने के आरोप में धारा लगाए गए थे। जांच भी की गई थी। लगभग सभी आरोपियों की संबंध कबीर कला मंच से था।'
एडीजी ने कहा, 'जांच में पाया गया कि माओवादी संगठनों के द्वारा एक बड़ी साजिश को तैयार किया जा रहा है। आरोपी उन्हें उनके आगे के लक्ष्य के लिए मदद कर रहे थे। एक आतंकी संगठन भी इसमें शामिल थे। 17 मई को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (UAPA) के तहत इनके खिलाफ धाराएं लगाई थीं।'
एडीजी के मुताबिक, '6 जून को सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन को नागपुर, सुरेंद्र धावले को मुंबई और रोना विल्सन को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। प्रतिबंधित संस्था सीपीआई (माओवादी) के टॉप कैडर ग्राउंड एक्टिविस्ट से सीधे संपर्क नहीं करते थे। वो रोना विल्सन और सुरेंद्र गाडलिंग को कुरियर करते थे। फिर ये पासवर्ड से संरक्षित मैसेज दूसरे स्टाफ को भेजते थे। पुणे पुलिस ने यह पासवर्ड का पता लगाया है।'
पी बी सिंह ने कहा, 'हाल में पुणे पुलिस ने देश के 9 ठिकानों पर छापे मारे जिसमें वरवर राव, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वेरनोन गोंजैल्वस को गिरफ्तार किया गया। ये लोग किस तरह माओवादियों से संपर्क करते थे, कैसे कम्युनिकेट करते थे, उनका एजेंडा क्या था ये सभी बातें पुणे पुलिस को पता चल चुकी है।'
एडीजी ने प्रेस कांफ्रेंस में सुधा भारद्वाज का कॉमरेड प्रकाश को लिखा एक पत्र सुनाया। उसके बाद एक और पत्र पढ़ते हुए कहा, '30 जुलाई 2017 का एक पत्र है। रोना विल्सन का लेटर है। 8 करोड़ रुपये की जरूरत बताई गई है जो एम-4 राइफल और एके-47 खरीदना था। ताकि पीएम मोदी को राजीव गांधी की तरह खत्म किया जा सके।'
बता दें कि मंगलवार को गिरफ्तार किए गए आरोपियों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को छह सितंबर को अगली सुनवाई होने तक उनके घरों में ही नजरबंद रखने का आदेश दिया था।
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सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कार्रवाई पर निराशाजनक विचार जाहिर करते हुए कहा था, 'असहमति ही लोकतंत्र का सुरक्षा वाल्व है। अगर यह नहीं होगा तो प्रेशर कुकर फट जाएगा।'
वहीं इस मामले में बुधवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि स्थापित प्रकियाओं का उल्लंघन करते हुए गिरफ्तारी की गई, इसलिए यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। आयोग ने चार सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है।
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मीडिया रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए एनएचआरसी ने कहा था कि ऐसा लगता है कि पुलिस द्वारा इन गिरफ्तारियों में मानक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है, जिससे मानवाधिकारों उल्लंघन हो सकता है।
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