अरुणाचल प्रदेश की सेला सुरंग का अंतिम विस्फोट पूरा, चीन की बढ़ेगी आफत
सेला सुरंग परियोजना में दो सुरंगें शामिल हैं, जिसमें पहली 980 मीटर लंबी, सिंगल ट्यूब टनल और दूसरी 1555 मीटर लंबी ट्विन ट्यूब टनल है.
highlights
- रक्षा मंत्रालय ने कहा- परियोजना से संबंधित सभी उत्खनन कार्य पूरा
- साल 2019 के 1 अप्रैल को सुरंग का निर्माण कार्य शुरू किया गया था
- दुनिया में 13,000 फीट से ऊपर की सबसे लंबी ट्विन-लेन सुरंग है ये
दिल्ली:
Sela tunnel project : चीन की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग परियोजना अब एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर गई है. रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि इस सुरंग के लिए अंतिम विस्फोट शनिवार को पूरा कर लिया गया है. इस परियोजना से संबंधित सभी उत्खनन कार्य पूरा हो चुका है. साल 2019 के 1 अप्रैल को सुरंग का निर्माण कार्य शुरू किया गया था और पहला विस्फोट 31 अक्टूबर, 2019 को हुआ था. इस सुरंग के बनते ही चीन से सटे तवांग सेक्टर में आगे के क्षेत्रों में हथियारों और सैनिकों की तेजी से तैनाती की जा सकेगी. यह सुरंग भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसके तैयार होते ही चीन भी पूरी तरह टेंशन में आ जाएगा.
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सेला सुरंग परियोजना में दो सुरंगें शामिल हैं, जिसमें पहली 980 मीटर लंबी, सिंगल ट्यूब टनल और दूसरी 1555 मीटर लंबी ट्विन ट्यूब टनल है. सुरंग 2 में यातायात के लिए एक बाइ-लेन ट्यूब और आपात स्थिति के लिए एक एस्केप ट्यूब है. यह 13 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर बनाई गई सबसे लंबी सुरंगों में से एक है. इस परियोजना में सुरंग 1 के लिए सात किलोमीटर की पहुंच (अप्रोच) सड़क का निर्माण भी शामिल है, जो बीसीटी रोडसे निकलती है. इसके अलावा सुरंग 1 और सुरंग 2 को जोड़ने वाली 1.3 किलोमीटर का एक लिंक रोड है. वहीं टनल 2 में यातायात के लिए एक बाइ-लेन ट्यूब और इमरजेंसी के लिए एक एस्केप ट्यूब है.
इस साल जून में पूरा होने की उम्मीद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में परियोजना की नींव रखी थी. इस मामले से परिचित अधिकारियों ने कहा कि जून 2022 तक इसके पूरा होने की उम्मीद है. सेला सुरंग 2018 में सरकार द्वारा घोषित 700 करोड़ रुपये की परियोजना है. दुनिया में 13,000 फीट से ऊपर की सबसे लंबी ट्विन-लेन सुरंग होगी और तवांग की यात्रा के समय में कम से कम एक घंटे की कटौती करेगी और साथ ही सभी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी. 14,000 फुट के सेला दर्रे पर तवांग के लिए बर्फबारी के मौसम में दशकों तक सेना को चोटी तक पहुंचना हमेशा से चुनौतीभरा रहा है. खासकर तीन महीनों तक सेना को यहां आने-जाने में गंभीर रूप से परेशानी होती रही है. सेला सुरंग बालीपारा-चारदुआर-तवांग सड़क का एक हिस्सा है, जो चीनी सीमा के पास प्रमुख रणनीतिक परियोजनाओं में से एक है. इस सेला सुरंग के निर्माण में ऑस्ट्रियाई टनलिंग तकनीकों का उपयोग करके 50 इंजीनियर और 500 कर्मचारी सीधे तौर पर शामिल हैं.
सुरंग तैयार होते ही सेना को मिलेगी राहत
इस सुरंग को तैयार होने के बाद यहां प्रतिदिन लगभग 4,000 सेना और नागरिक वाहनों के सुरंग का उपयोग करने की उम्मीद है. इसके आयाम बोफोर्स तोपों सहित सभी प्रकार के सेना के वाहनों और सैन्य हार्डवेयर की आवाजाही में सहायता मिलेगा, जिन्हें स्कैनिया ट्रकों द्वारा आगे के क्षेत्रों में ले जाया जाना है. विशेषज्ञों ने कहा है कि सेला सुरंग परियोजना से सैनिकों और उपकरणों को तेजी से जुटाने में मदद मिलेगी और सेना की रसद समर्थन क्षमता में भी वृद्धि होगी.
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