अमेरिकी F-18 लड़ाकू विमानों से लैस होगा स्वदेशी INS विक्रांत
फ्रांसीसी राफेल के बाद अब अमेरिकी F-18 सुपर हॉर्नेट फाइटर प्लेन से भारतीय सेना लैस होगी. दरअसल, अमेरिकी विमान कंपनी बोइंग (Boeing) अगले महीने अपने अत्याधुनिक एफ-18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान भारत भेज रही है.
highlights
- अमेरिकी F-18 लड़ाकू विमानों से लैस होगा स्वदेशी INS विक्रांत
- राफेल के बाद अब F-18 भारतीय वायुसेना होगी और मजबूत
- भारत का स्वदेशी विमानवाहक पोत है आईएनएस विक्रांत
नई दिल्ली:
फ्रांसीसी राफेल के बाद अब अमेरिकी F-18 सुपर हॉर्नेट फाइटर प्लेन (Super Hornet fighter) से भारतीय सेना लैस होगी. दरअसल, अमेरिकी विमान कंपनी बोइंग (Boeing) अगले महीने अपने अत्याधुनिक एफ-18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान (F-18 Super Hornet fighters) भारत भेज रही है. गौरतलब है कि इस अत्याधुनिक लड़ाकू विमान का भारतीय नौसेना गोवा में INS हंसा के तटीय टेस्ट सेंटर पर परीक्षण करेगी. अगर यह परीक्षण सफल रहा तो इन विमानों की भारत के नए स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) पर दुश्मनों के दांत खट्टे करने के लिए प्रमुख हथियार के तौर पर इस्तेमाल किए जाने की संभावना है.
मीडिया में आ रही खबरों में कहा गया है कि दिल्ली और वाशिंगटन से मिली जानकारी के मुताबिक आईएनएस विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) से 21 मई को एफ-18 का ट्रायल उड़ान किया जा सकता है. आपको बता दें कि विक्रमादित्य का डेक 928 मीटर लंबा है और ये भारत का इकलौता स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है. आईएनएस विक्रमादित्य को करीब पिछले एक साल से मरम्मत करके नया रूप देने का काम किया जा रहा है. ऐसी संभावना है कि जल्द ही ये समुद्र में फिर से सक्रिय भूमिका निभाने लगेगा. इस वक्त आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) के कड़े समुद्री परीक्षण से गुजारा जा रहा है. अभी तक इस पर मिग-29 के लड़ाकू विमान तैनात किए गए हैं. लेकिन नोसेना को अत्याधुनिक बनाने के लिए युद्धपोत पर तैनाती के लिए नेवी 26 लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी में है. काबिले गौर है कि INS विक्रांत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को सेना को समर्पित करेंगे.
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अत्याधुनिक फीचर से लैस है F18
एफ-18 मौजूदा 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में काफी आधुनिक और अच्छा माना जाता है. दरअसल, आईएनएस विक्रांत के डेक से ऐसे 8 एफ-18 विमानों को लॉन्च किया जा सकता है. अगर इसके पंख फोल्ड कर दिया जाए तो ये युद्धपोत के ऊपरी हिस्से में भी पूरी तरह से फिट हो सकता है. हालांकि, दो सीटों वाले राफेल में ये सुविधाएं नहीं है. लिहाजा, राफेल को सिर्फ तटीय आधारित केंद्र से ही अपडेट किया जा सकता है. यह इसके लड़ाकू क्षमता को कम कर देती है. हालांकि, एक बात दोनों में ही समान है कि दोनों ही विमान कई तरह के गोला बारूद और मिसाइलें लेकर चल सकते हैं. लेकिन एफ-18 राफेल से इस मामले में अच्छा है क्योंकि इसमें चार एंटी सबमरीन मिसाइलें भी फिट हो सकती हैं.
तीन तरह के फाइटर प्लेन होंगे तैनात
दरअसल, नेवी आईएनएस विक्रांत और विक्रमादित्य पर अमेरिकी एफ-18 और मिग-29के के अलावा राफेल-एम की तैनाती पर भी विचार कर रही है. आपको बता दें कि इससे पहले नेवी ने इस वर्ष जनवरी में युद्धपोत पर राफेल का सफल परीक्षण किया था. मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक नेवी इस वक्त 26 फाइटर प्लेन खरीदने पर विचार कर रही है, क्योंकि युद्धपोत के डेक से उड़ान भरने में सक्षम दो इंजन वाले देसी लड़ाकू विमान को तैयार होने में वर्ष 2030 तक का समय लगने की संभावना है. इस वक्त भारत को कम से कम दो विमानवाहक पोतों की सख्त आवश्यकता है, क्योंकि चीन अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर बना रहा है. लिहाजा, हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए भारत के लिए यह बहुत ही जरूरी है. ऐसे में भारत एक विमानवाहक पोत पश्चिमी किनारे पर और दूसरा पूर्वी किनारे पर तैनात करने की योजना बना रहा है.
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