पॉक्सो एक्ट बदलाव: 12 से कम उम्र की बच्चियों से रेप पर मौत की सजा को मंत्रिमंडल की मंजूरी
नाबालिगों से बलात्कार किए जाने के मामले में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक खत्म हो गई है। इस बैठक में रेप को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।
नई दिल्ली:
देश में आए दिन नाबालिगों से हो रहे बलात्कार को लेकर आज पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई जिसमें बेहद अहम फैसला लिया गया।
अब 12 साल से कम्र उम्र की बच्चियों से रेप के दोषी को फांसी की सजा दी जाएगी। मोदी सरकार ने फांसी की सजा दिए जाने के लिए उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है जिसके तहत पॉक्सो एक्ट में संशोधन कर इसे कानूनी अमली जामा पहनाया जाएगा।
केंद्रीय कैबिनेट ने विशेष रूप से 16 और 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार करने वाले अपराधियों के लिए सख्त सजा देने के लिए एक नया अध्यादेश जारी किया है। 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार करने वाले को मौत की सजा देने का इंतजाम किया है।
Union Cabinet approved an Ordinance to be promulgated to provide for stringent punishment for perpetrators of rape particularly of girls below 16 years age and below 12 years of age. Death penalty has been provided for rapists of girls below 12 years of age. pic.twitter.com/QXCv0P3pFP
— ANI (@ANI) April 21, 2018
गौरतलब है कि उन्नाव और कठुआ में हुए गैंगरेप के बाद देश भर में नाबालिगों के साथ रेप करने वालों को कड़ी सजा दिए जाने की मांग उठी थी।
ऐसे में सरकार बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पॉक्सो एक्ट ) में संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है।
आपको बता दें मौजूदा पॉक्सो कानून के अनुसार बलात्कार के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है और न्यूनतम सजा सात साल की कैद है।
कैबिनेट की बैठक से पहले सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह कानून में संशोधन कर 12 साल या उससे छोटी उम्र की बच्चियों के साथ यौन अपराध के दोषियों को मौत की सजा दिए जाने के प्रावधान को शामिल करने पर विचार कर रही है।
गौरतलब है कि दिसंबर 2012 के निर्भया मामले के बाद जब कानूनों में संशोधन किए गए तो बलात्कार के बाद महिला की मृत्यु हो जाने या उसके मृतप्राय होने के मामले में एक अध्यादेश के माध्यम से मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया जो बाद में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बन गया।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि वह दंडनीय कानून में संशोधन कर 12 साल या उससे छोटी उम्र की बच्चियों के साथ यौन अपराध के दोषियों को मौत की सजा के प्रावधान को शामिल करने पर विचार कर रही है।
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