logo-image

बीएस 3, बीएस-4 नहीं अब बीएस 6 मानक वाले वाहन अनिवार्य

1 अप्रैल 2017 से बीएस 6 मानक वाले वाहन को सरकार ने अनिवार्य कर दिया है। सरकार ने यह कदम प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए लिया है।

Updated on: 19 Jan 2018, 05:42 PM

नई दिल्ली:

1 अप्रैल 2017 से बीएस 6 मानक वाले वाहन को सरकार ने अनिवार्य कर दिया है। सरकार ने यह कदम प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए लिया है।

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा- 'भारत में प्रदूषण सबसे बड़ा मुद्दा है। हर कोई दिल्ली में स्थिति जानता है। हमने 1 अप्रैल से बीएस 6 मानक अनिवार्य बनाने का फैसला किया। मैं ऑटोमोबाइल उद्योग को उसके अनुसार काम करने के लिए अपील करता हूं और प्रदूषण को कम करने में मदद करने की अफील करता हूं।'

बता दें कि दुनिया की सबसे ज्यादा प्रदूषित देशों की सूची में भारत का नाम शामिल है। इसके लिए वाहनों को सबसे बड़ी वजह माना जाता है। इस वक्त समय की मांग है कि प्रदूषण के स्तर को हर संभव तरीके से वैश्विक स्तर पर कम किया जाए।

सरकार के इस फैसले से वाहन निर्माताओं को परेशानी हो सकती है। उन्हें जल्द अपने मॉडल्स को अपग्रेड करना होगा। वहीं बहुत से निर्माता का बीएस 4 मानक वाला स्टॉक सस्ते दाम में बेचने की जल्द कोशिश करेंगे।

क्या है बीएस का मतलब

बीएस के मायने एमिशन स्टैंडर्ड से है। देश में जितनी भी गाड़ियां पेट्रोल और डीजल से चलती हैं। उनके अन्तः ज्वलन से जो धुआं बाहर निकलता है। उसको मापने का एक पैमाना है। देश में बीएस यानी भारत स्टेज से पता चलता है कि आपकी गाड़ी कितना प्रदूषण फैलाती है। इसी के जरिए भारत सरकार गाड़ियों के इंजन से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण को रेगुलेट करती है। और ये मानक सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड तय करता है। देश में चलने वाली हर गाड़ियों के लिए बीएस का मानक जरूरी है।

पहली बार देश में सन 2000 में यूरो वन या बीएस 1 स्टैंडर्ड शुरू किया गया था।