मोदी ने असम का पुल किया भूपेन हज़ारिका के नाम, जानें कौन थे ये मशहूर गायक
देशभर में असमी भाषा को पहचान देने वाले भूपेंद्र हजारिका गायक और संगीतकार होने के साथ कवि, फि़ल्म निर्माता, लेखक थे।
नई दिल्ली:
देशभर में असमी भाषा को पहचान देने वाले भूपेंद्र हजारिका गायक और संगीतकार होने के साथ कवि, फि़ल्म निर्माता, लेखक थे। वे असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी थे। उनकी आवाज आज भी सभी के दिलों पर राज करती है। भूपेन हजारिका का जन्म 8 सितंबर, 1926 को असम के सादिया में हुआ था। वे 10 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। 10 साल की उम्र में भूपेंद्र हजारिका असमिया भाषा में गाने गाते थे।
भूपेंद्र हजारिका ने ज्योतिप्रसाद की फिल्म 'इंद्रमालती' में दो गाने गाए थे। 1936 में कोलकाता में भूपेन ने अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया था। वे एक ऐसे कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते और गाते थे। भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों दिलों को छुआ और उनकी आवाज का जादू उनके गीत 'दिल हूम हूम करे' और 'ओ गंगा तू बहती है क्यों' में है।
गुवाहाटी यूनिवर्सिटी में टीचर की नौकरी छोड़ कर संगीतकार बन गए थे। बचपन से ही उन्हें संगीत से लगाव था 13 साल की उम्र में हजारिका ने अपना पहला गाना लिखा था और यहीं से उनका गायक बनने का सफर शुरू हुआ था। पूर्वोत्तर भारत से निकलने वाले गायक पूरे हिन्दीभाषी समाज में आकर छा गए थे।
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अपनी मूल भाषा आसामी के अलावा भूपेंद्र हजारिका हिंदी, बंगाली समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना गाते रहे थे। उन्होंने न केवल असम व बंगाल के लोग संगीत को फिल्मों में इस्तेमाल किया बल्कि राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों की लोकधुनों को भी अपनाया। संगीत को अपना साथी बना उन्होंने 'एक पल', 'रूदाली' और 'दमन' जैसी सुपरहिट फिल्मों में गीत दिए।।
भूपेन हजारिका को 1975 में राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1992 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, 1997 में पद्मश्री अवॉर्ड, 2009 में असोम रत्न और इसी साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, 2011 में पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
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भूपेंद्र हजारिका ने असमिया अवॉर्ड विनिंग फिल्में 'शकुंतला सुर' ,'प्रतिध्वनि', 'लती घाटी' , 'मेरा धरम मेरी मां' का निर्देशन कर चुके है।
उन्होंने उनकी आखिरी फि़ल्म 'गांधी टू हिटलर' में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन 'वैश्नव जन' गाया था। दादासाहेब फाल्के पुरस्कार विजेता भूपेन हाजारिका ब़डों में भी ब़डे कलाकार थे। भूपेन हजारिका साल 1967-72 के बीच विधायक भी रहे और 2004 में लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रहे। साल 2011 में उनका निधन हो गया था।
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ढोला-सदिया पुल का मोदी ने असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने पुल का उद्घाटन किया और उन्होंने इस पुल को भूपेन हजारिका का नाम दिया।
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