बिहार के सत्ताधारियों के शेल्टर होम में बच्चियों से रेप ने 'बेटी बचाओ' के नारे को जुमला बना दिया: अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह में लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न मामले को लेकर जनता दल यूनाइडेट (JDU) और बीजेपी (BJP) पर निशाना साधा है।
यूपी:
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह में लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न मामले को लेकर जनता दल यूनाइडेट (JDU) और बीजेपी (BJP) पर निशाना साधा है। उन्होंने नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस्तीफे की भी मांग की है।
अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'बिहार के सत्ताधारियों के शेल्टर होम में बच्चियों से बलात्कार ने 'बेटी बचाओ' के नारे को भी जुमला बना दिया है। अब तो इनके समर्थक भी विरोध में हैं और ये सोचकर 'शर्मसार' भी हैं कि वो अब तक कैसे लोगों का साथ दे रहे थे। जेडीयू-बीजेपी की सरकार को नैतिकता के नाम पर तुरंत इस्तीफ़ा देना चाहिए।'
बिहार के सत्ताधारियों के शेल्टर होम में बच्चियों से बलात्कार ने ‘बेटी बचाओ’ के नारे को भी जुमला बना दिया है. अब तो इनके समर्थक भी विरोध में हैं और ये सोचकर ‘शर्मसार’ भी कि वो अब तक कैसे लोगों का साथ दे रहे थे. जेडीयू-भाजपा की सरकार को नैतिकता के नाम पर तुरंत इस्तीफ़ा देना चाहिए.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 4, 2018
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गौरतलब है कि इस मामले को लेकर अब सियासत गर्म होती जा रही है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव भी नीतीश सरकार को घेरने के लिए देश की राजधानी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस प्रदर्शन में राहुल गांधी भी हिस्सा लेंगे।
बता दें कि मुजफ्फरपुर में एक बालिका आश्रय गृह के 11 कर्मचारियों को 24 जुलाई को लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद पुलिस ने आसपास के इलाकों में भी रेड मारी और 44 लड़कियों को बचाया।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर लिया संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को संज्ञान में लिया। न्यायमूर्ति मदन भीमराव लोकुर की अध्यक्षता में उच्चतम न्यायालय की डिवीजन खंडपीठ और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने बिहार सरकार और केंद्र को एक नोटिस जारी कर विस्तृत जवाब मांगा।
इस वजह से घटना हुई उजागर
इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब मुंबई की संस्था टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस की टीम ने बालिका गृह के सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यौन शोषण का उल्लेख किया।
इसके बाद मुजफ्फरपुर महिला थाने में इस मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई गई। फिर लड़कियों के चिकित्सकीय जांच में भी 34 लड़कियों के साथ दुष्कर्म होने की पुष्टि हुई थी।
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