'चिनम्मा' बनेंगी तमिलनाडु की 'अम्मा'? शशिकला के दर पर पनीरसेल्वम के मंत्री
जयललिता के निधन के बाद तमिलनाडु की सियासत में अगर सबसे बड़ा सवाल था तो यह की 'अम्मा' की विरासत को कौन संभालेगा? लेकिन निधन के बाद तमाम तरह की अटकलों से दूर पर्दे के पीछे रहीं शशिकला मुख्य चेहरा बन कर उभरी।
highlights
- तमिलनाडु की सियासत में जयललिता की जगह लेंगी शशिकला या अब भी है रुकावट?
- पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा, जयललिता ने खुद 2 बार शशिकला को पार्टी से किया था बाहर
- पार्टी में पनीरसेल्वम, थंबीदुरई और आईएएस वीएस चंद्रलेखा जैसे कई चेहरे हैं
नई दिल्ली:
जयललिता के निधन के बाद तमिलनाडु की सियासत में अगर सबसे बड़ा सवाल था तो यह की 'अम्मा' की विरासत को कौन संभालेगा? लेकिन निधन के बाद तमाम तरह की अटकलों से दूर पर्दे के पीछे रहीं शशिकला (चिनम्मा) मुख्य चेहरा बन कर उभरी। जयललिता का अंतिम संस्कार हो या सरकार का गठन हर जगह फ्रंट लाइन में दिखीं। अब वह तमिलनाडु की सड़कों पर जयललिता की तरह पोस्टरों में भी दिख रही हैं।
जयललिता के निधन के चौथे दिन मंत्रियों और विधायकों की गाड़ियां शशिकला के दरवाजे पर दस्तक दे रही है। अधिक व्यस्तता के कारण कई मंत्रियों को मिलने का समय भी नहीं मिल रहा है। शशिकला जयललिता के आवास पर ही ज्यादा समय दे रही हैं।
इस हलचल से एक बात तो साफ है कि भले ही जयललिता के करीबी रहे पनीरसेल्वम को सरकार की कमान दी गई हो। लेकिन केंद्र जयललिता का पुराना आवास यानि 'पोएस गार्डन' होगा। जहां शशिकला फैसले लेंगी।
AIADMK कई समर्थकों का कहना है कि जयललिता की करीबी रही शशिकला को पार्टी की कमान यानि महासचिव का पद दिया जाए। जयललिता पार्टी महासचिव थीं।
दरअसल, शशिकला और जयललिता का साथ आत्मा का था। जयललिता को कब क्या चाहिए, क्या पहनेंगी, सबका प्रबंधन शशिकला की देखरेख में होता था। यही कारण है कि वह जयललिता की भरोसेमंद बनीं। और अब पार्टी कार्यकर्ता भी 'चिनम्मा' (शशिकला) को 'अम्मा' की जगह देने लगे हैं।
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हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि शशिकला को जयललिता ने पार्टी से निकाल दिया था। पहली बार 1996 में और दूसरी बार 2011 में। ये घटना उनके सुप्रीमों बनने की राह में रोड़ा अटका सकती है।
अम्मा ने 1996 में कहा था कि पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की इच्छा के अनुसार शशिकला से खुद को दूर कर रही हैं। 1991-1996 के बीच जब एआईएडीएमके सत्ता में थी तब शशिकला पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। और इन्हीं आरोपों के मद्देनजर शशिकला को पार्टी से बाहर किया गया था।
राजनीतिक विश्लेषक ज्ञानी शंकरन ने कहा कि जयललिता के जीवित रहते हुए भी शशिकला पार्टी की 'पावर सेंटर' थीं। जब ये पूछा गया कि क्या जनता उन्हें AIADMK के प्रमुख के तौर पर स्वीकार करेगी। तो उन्होंने कहा कि यह चुनाव में ही पता चल पाएगा।
AIADMK के पूर्व मंत्री का कहना है कि हम इस बारे में अभी सोच नहीं रहे हैं। अभी दुख का समय है वैसे भी ये फैसला पत्रकार से बात करके नहीं लिया जा सकता। साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी में कई ऐसे लोग हैं जो इसकी योग्यता रखते हैं।
दरअसल AIADMK में कई मौजूदा उप लोकसभा अध्यक्ष थंबीदुरई, मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम और आईएएस वीएस चंद्रलेखा जैसे कई चेहरे हैं जो 'अम्मा' के जाने के गम को भूलने के बाद पार्टी में अपनी वजूद तलाश सकते हैं। ऐसे में चिनम्मा को अम्मा की जगह लेने में अड़चनें आ सकती है।
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