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कला और संस्कृति का बेहतरीन मेल कच्छ का रण उत्सव, अगर यह नहीं देखा.. तो कुछ नहीं देखा

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में कई बार कच्छ और मनाये जाने वाले उत्सव का जिक्र किया है।

Updated on: 13 Dec 2017, 07:49 AM

नई दिल्ली:

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में कई बार कच्छ और मनाये जाने वाले उत्सव का जिक्र किया है कच्छ का सफ़ेद रण दुनियाभर में मशहूर है और गुजरात यात्रा यहां घूमे बिना अधूरी मानी जाती है

गुजरात का कच्छ न सिर्फ देश बल्कि विदेशों से भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है पर्यटकों को लुभाने के लिए यहां बहुत कुछ है। यहां नमक का नाम अपने आप इस जगह से जुड़ जाता है

नमक की बहुलता वाले यह क्षेत्र रात में सफेद रेगिस्‍तान में बदल जाता है। हर साल यहां होने वाले रण उत्सव में हजारों लोग शामिल होते है रण का उत्सव तीन दिनों तक चलता है और यह भारत में ही नहीं बल्कि देश-विदेश में प्रसिद्ध है

हमारे देश में नमक का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह इतिहास में चर्चित डांडी यात्रा की शुरुआत 12 मार्च 1930 को की थी। डांडी यात्रा में गांधी जी ने 24 दिनों में 400 किलोमीटर तक का सफर तय किया था।

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भारत-पाकिस्तान सीमा पर आयोजित रण उत्सव में कई लोग शामिल होते हैं और ऊंट की सवारी का भी भरपूर लुत्फ़ उठाते है। इस उत्सव में कलाकार रेत पर अपनी कला से भारत के इतिहास की एक खूबसूरत झलक से रूबरू करवाते है।

इस दौरान चांदनी रात में यहां की संस्कृति और व्यंजनों का भरपूर लुत्फ़ उठाया जा सकता है करीब 23 हज़ार वर्ग किलोमीटर में फैला कच्छ कई महीनो तक कीचड से भरा रहता है और सूखने पर यही विशाल रेगिस्तान में तब्दील हो जाता है

सूरज की रोशनी और चांद की चांदनी के सपर्श से यहां खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है बड़े-बड़े भूकंप झेल चुका रण के दूसरे तरफ पाकिस्तान है

कच्छ के रण उत्सव में रंग ही रंग देखने को मिलेंगे कच्छ की खूबसूरती को देख आप भी कह उठेंगे– कच्छ नहीं देखा, तो कुछ नहीं देखा...!

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