नोटबंदी: कालाधन, जाली नोट, आतंकवाद पर PM मोदी के दावे और एक साल में इसका असर
एक तरफ जहां मोदी सरकार ने नोटबंदी की पहली 'सालगिरह' का नाम 'एंटी ब्लैक मनी डे' दिया है। वहीं विपक्ष देशभर में नोटबंदी को 'ब्लैक डे' बता 'बरसी' मना रहा है।
नई दिल्ली:
एक तरफ जहां मोदी सरकार ने नोटबंदी की पहली 'सालगिरह' का नाम 'एंटी ब्लैक मनी डे' दिया है, तो वहीं पूरा विपक्ष देशभर में नोटबंदी को 'ब्लैक डे' बता 'बरसी' मना रहा है।
मोदी सरकार का दावा है कि नोटबंदी से ब्लैक मनी, नकली नोट पर अंकुश लगा तो वहीं आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर टूटी।
विपक्षी दलों ने एक सुर में सरकार के दावे को खारिज कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि कालाधन, नकली नोट पर लगाम और आतंकवाद को '100 से अधिक लोगों की मौत', देश को कतारों में खड़ा करने की शर्त पर हासिल नहीं किया जा सकता है।
दरअसल, पक्ष-विपक्ष के पास अपने-अपने आंकड़े और दावे हैं। सरकार के पास पहले से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्योरो (सीबीआई), आयकर विभाग (आईटी), केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) जैसी कई एजेंसियां मौजूद हैं, जो समस्याओं से निपटने के लिए काम कर रही है। ऐसे में दोनों के दावे कितने जमीनी हैं यह जानने की जरूरत है।
8 नवंबर 2019: पीएम मोदी का भाषण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 की शाम को नोटबंदी (500 और 1000 रुपये के नोट अमान्य) की घोषणा की थी और कहा था कि इससे काले धन, भ्रष्टाचार, जाली नोट और आतंकवादियों के फंडिंग पर रोक लगेगी।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 की शाम को कहा था, 'ऐसे करोड़ों भारतवासी जिनके रग रग में ईमानदारी दौड़ती है उनका मानना है कि भ्रष्टाचार, काले धन, बेनामी संपत्ति, जाली नोट और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई निर्णायक होनी चाहिए'...पीएम ने कहा, 'देश को भ्रष्टाचार और काले धन रूपी दीमक से मुक्त कराने के लिए एक और सख्त कदम उठाना जरूरी हो गया है।'
प्रधानमंत्री के इन दावों के एक साल बाद कहां खड़े हैं?
30 अगस्त को जारी अपनी सालाना रिपोर्ट में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि नोटबंदी के बाद 15.28 लाख करोड़ रुपये सिस्टम में वापस आए जोकि रद्द किए गए 15.44 लाख करोड़ रुपये का 99 प्रतिशत है। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि 99 प्रतिशत रुपया बैंकिंग सिस्टम में जब लौट आया तो कालाधन कहां है?
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जिसपर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सफाई देते हुए कहा कि पैसा बैंकिंग सिस्टम में जमा हो गया है इसका मतलब यह नहीं है कि यह पूरा पैसा वैध है।
दरअसल, नोटबंदी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान तत्कालीन अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि अवैध हो चुके 15 लाख करोड़ में से 10 से 11 लाख करोड़ रूपए सरकार के पास वापस लौटेंगे। उनका कहना था कि जो पैसे नहीं लौटेंगे वह कालाधन होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। केंद्रीय बैंक के पास 99 प्रतिशत नोट वापस आ गए।
केंद्रीय एजेंसियों के मुताबिक 4 हजार से अधिक कंपनियों, व्यक्तिगत लोगों के खिलाफ जांच चल रही है। जिसके परिणाम कुछ समय बाद देखने को मिलेंगे। नोटबंदी के बाद बड़े स्तर पर छापेमारी हुई, जिसमें कई ऐसे मामले सामने आये हैं जहां रसूखदार लोगों ने दूसरे के खातों में पैसे जमा कराए। साथ ही कई कई बैंकों के अधिकारियों ने गड़बड़ी करने की कोशिश की।
जाली नोट
आरबीआई के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 में 7,62,072 जाली नोट पकड़े गए। वित्त वर्ष 2015-16 में 632,926 जाली नोट पकड़े गये थे। यानि नोटबंदी के बाद 20.4 प्रतिशत का इजाफा हुआ। हालांकि आलोचकों का कहना है कि यह अंतर बहुत ज्यादा नहीं है।
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सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015-16 के दौरान रिजर्व बैंक की जांच प्रणाली में प्रति 10 लाख नोट में 500 रुपये के 2.4 और 1000 के लिए 5.8 नोट नकली पाए गए, जो 2016-17 में बढ़कर क्रमश: 5.5 और 12.4 के स्तर पर पहुंच गए।
आतंकवाद-नक्सलवाद
सरकार का दावा है कि आतंकवादी और नक्सलवादी गतिविधि में कमी आई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली का दावा है कि कश्मीर में 'पत्थरबाज बेअसर हुए हैं।'
मोदी सरकार का दावा है कि कश्मीर में नोटबंदी के बाद पत्थरबाजी की घटनाएं पिछले एक साल की तुलना में घटकर मात्र एक-चौथाई रह गई। सरकार के मुताबिक, नोटबंदी के बाद नक्सली हिंसा की घटनाओं में 20 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है।
आपको बता दें की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कश्मीर में टेरर फंडिंग की जांच पहले से कर रही है। इस मामले में दर्जनों अलगाववादी नेता या तो हिरासत में हैं या एनआईए के रडार पर हैं। पत्थरबाजी कम होने की एक वजह यह भी है।
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हालांकि पिछले दिनों गिरफ्तार आतंकवादियों से नोटबंदी के बाद छापे गये 2000 रुपये के नए नोट मिले हैं। जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि टेरर फंडिंग पर लगाम कैसी लगी?
विपक्षी दलों का आरोप है कि मोदी सरकार नोटबंदी विफल होने के बाद 'गोलपोस्ट' बदल चुकी है। अब वह नोटबंदी से कालाधन, आतंकवाद, जाली नोटों की कमी की बात नहीं डिजिटल ट्रांजेक्शन, करदाता बढ़ने की बात कर रही है। नोटबंदी पर विपक्ष बार-बार सरकार से गलती स्वीकार करने के लिए कह रहा है।
पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को 'विनाशकारी आर्थिक नीति' करार दिया है। सिंह ने रविवार को कहा, 'नोटबंदी का तुरंत असर नौकरियों पर पड़ा है। हमारे देश की तीन चौथाई गैर-कृषि रोजगार छोटे और मझोले उद्यमों के क्षेत्र में हैं। नोटबंदी से इस क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। इसलिए नौकरियां चली गईं और नई नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं।'
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने पर पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि यह लक्ष्य प्रशंसनीय हैं लेकिन सरकार को आर्थिक प्राथमिकताओं को दुरुस्त करने की जरूरत है।
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