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दार्जिलिंग हिंसा: बंगाल सरकार और GJM के बीच गतिरोध जारी, हड़ताल का आठवां दिन

गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर गोरखा जन मुक्ति मोर्चा (जीजेएम) का अनिश्तिचकालीन हड़ताल जारी है। हड़ताल का आज आठवां दिन है।

Updated on: 19 Jun 2017, 09:02 AM

नई दिल्ली:

गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर गोरखा जन मुक्ति मोर्चा (जीजेएम) का अनिश्तिचकालीन हड़ताल जारी है। हड़ताल का आज आठवां दिन है।

इससे पहले रविवार को दार्जिलिंग में पुलिस की गोलीबारी में तीन कार्यकर्ताओं की मौत के विरोध में रविवार को कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने 'काला दिवस' मनाया।

जीजेएम के हजारों कार्यकर्ताओं ने मारे गए कार्यकर्ताओं के शवों के साथ मार्च निकाला। हालांकि इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं और सुरक्षा बलों के बीच किसी झड़प की सूचना नहीं है।

बंगाल सरकार और जीजेएम के बीच गतिरोध केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को तनावग्रस्त दार्जिलिंग में शांति की अपील की। राजनाथ ने इससे पहले दार्जिलिंग की स्थिति पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात की। 8 जून को शुरू हुआ आंदोलन अब हिंसक हो चला है।

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राजनाथ सिंह ने कहा कि सभी संबंधित पक्षों को अनुकूल माहौल में बातचीत के जरिए अपने मतभेदों को सुलझाना चाहिए। 

उन्होंने कहा, 'ममता बनर्जी से बात की। उन्होंने मुझे दार्जिलिंग की स्थिति से वाकिफ कराया।' उन्होंने कहा, 'मैं दार्जिलिंग और आसपास के क्षेत्रों में रह रहे लोगों से शांत रहने की अपील करता हूं। किसी को हिंसा का सहारा नहीं लेना चाहिए। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती। हर मुद्दे को आपसी बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है।'

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) द्वारा की जा रही तोड़-फोड़ की निंदा करते हुए अनुकूल माहौल में जीजेएम के साथ बातचीत करने की पेशकश की है।

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ममता ने कहा कि राज्य सरकार अनुकूल माहौल में जीजेएम के साथ वार्ता करने के लिए तैयार है लेकिन मौजूदा स्थिति में बातचीत नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, 'हम तैयार हैं, लेकिन मौजूदा हालात में नहीं।'

ममता ने कहा कि दार्जिलिंग में बढ़ती अशांति पर चर्चा के लिए 22 जून को सिलिगुड़ी में सर्वदलीय बैठक होगी। जीजेएम ने अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है।

जीजेएम की हिंसा पर बरसते हुए ममता ने कहा, 'राज्य के उत्तरी पहाड़ी इलाके में हो रही हिंसा गहरी साजिश का परिणाम है। भारी मात्रा में विस्फोटक तथा हथियार एक दिन में नहीं आ सकता। वहां अंतर्राष्ट्रीय व राज्य सीमा है। वे संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं। वे केवल बम फेंक रहे हैं। उन्होंने अवैध हथियारों व बमों का जखीरा जमा कर रखा है।'

दार्जिलिंग में 'पुलिस वापस जाओ' और 'गोरखालैंड-गोरखालैंड' के नारे लग रहे हैं। गोरखा कार्यकर्ताओं का दावा है कि अब यह आंदोलन राजनीतिक न रहकर आम लोगों के आंदोलन में बल गया है।

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