सीएजी रिपोर्ट: सेना के पास महज दस दिनों की लड़ाई के लिए गोला-बारूद का रिज़र्व
संसद में रखे गए सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना के पास 10 दिनों से भी कम समय का हथियारों का स्टॉक है।
नई दिल्ली:
यंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कहा है कि भारतीय सेना गंभीर तौर पर हथियारों की कमी से जूझ रही है। संसद में रखे गए सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना के पास 10 दिनों से भी कम समय का हथियारों का स्टॉक है। सीएजी ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के काम करने के तरीके पर भी सवाल उठाए हैं।
सीएजी ने कहा है कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के प्रदर्शन में 2013 से कोई सुधार नहीं हुआ है। साथ ही रिपोर्ट में तोपों के गोले और आर्टिलरी की कमी की तरफ इशारा किया है और इसके लिये ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड को ही दोषी माना है। साथ ही कहा है कि बोर्ड 2013 के रोडमैप के अनुसार काम नहीं कर रहा है।
साल 1999 में सेना ने तय किया था कि उसके पास कम से कम 20 दिन की अवधि के लिए रिजर्व होना ही चाहिए।
सीएजी ने कहा है, '(सितंबर 2016 तक) हथियारों की उपलब्धता को लेकर किसी तरह की प्रगति हमें नहीं दिखी है.... उपलब्धता के हिसाब से एमएआरएल से 55 फीसदी कम पाई गई है। साथ ही लाइव स्टॉक भी 10 दिनों से भी कम है।'
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रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ 20 फीसदी गोला-बारूद ही 40 दिन के मानक पर खरे उतरे।
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) वीके चतुर्वेदी ने बताया कि सीएजी ने हथियारों की कमी और खासकर विस्फोटकों और मिसाइलों में इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रिक फ्यूज़ की कमी की ओर इशारा किया है।
उन्होंने कहा, 'इलेक्ट्रॉनिक फ्यूज़ की कमी को लेकर चिंता की ओर ध्यान दिलाया है। छोटे हथियारों में फ्यूज का इस्तेमाल नहीं होता। ऐसे में तोपों में इस्तेमाल होने वाले गोले, मोर्टार और मिसाइल को इसकी कमी का सामने करना पड़ सकता है।'
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एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि हथियारों की कमी से सेना में सैनिकों की ट्रेनिंग में समस्या आ सकती है।
2013 में जिस रोडमैप को मंजूरी दी गई थी, उसके तहत तय हुआ था कि 10 दिन से कम अवधि के लिए गोला-बारूद की उपलब्धता को बेहद चिंताजनक माना गया है। 2013 में जहां 10 दिन की अवधि के लिए 170 के मुकाबले 85 गोला-बारूद ही (50 फीसदी) उपलब्ध थे, इस समय ये सिर्फ 152 के मुकाबले 61 (40 फीसदी) ही उपलब्ध हैं।
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