बार काउंसिल की अपील, न्यायपालिका की गरिमा को ध्यान में रखकर दें बयान
बार काउंसिल के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कहा हमलोग नेताओं और आम नागरिकों से अपील करते हैं कि वो न्यायपालिका की गरिमा को ध्यान में रखें।
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट के जजों की बीच विवाद पर बार काउंसिल ने नेताओं और आम नागरिकों को न्यापालिका की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अपनी बात रखने को कहा है। उन्होंने कहा है कि इस मामले को आंतरिक रूप से ही सुलझा लिया जाना चाहिए।
बार काउंसिल के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कहा, 'हमलोग नेताओं और आम नागरिकों से अपील करते हैं कि वो न्यायपालिका की गरिमा को ध्यान में रखें। इस मामले में बेवजह की बयानबाजी न करें। ये इतना बड़ा मुद्दा नहीं हैं कि आप पूरे सिस्टम पर ही सवाल खड़े करने लगें।'
उन्होंने कहा, 'सभी जजों को चाहिए कि वो आपस में बैठकर सहमति से इस मुद्दे को सुलझाएं। वो चाहें तो निपटारे के लिए बार को भी अपने साथ शामिल कर सकते हैं। केस सुनवाई और रोस्टर जैसे छोटे विषय को लेकर प्रेस कॉफ्रेंस करना दुर्भाग्यपूर्ण है।'
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा, 'जजों द्वारा की गई प्रेस कांफ्रेंस काफी गंभीर है। बार आग्रह करती है कि सारी जनहित याचिकाएं सोमवार से ही चीफ जस्टिस समेत पांच वरिष्ठ जजों जो कॉलेजियम के सदस्य हैं, उन्हें सुनवाई के लिए दी जाएं।'
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इस मामले में आगे का रास्ता तय करने के लिए शनिवार को सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल की बैठक हुई।
बैठक के बाद बार काउंसिल के सदस्य ने बताया कि वो सुप्रीम कोर्ट के अन्य 23 जजों से मिलना चाहते हैं, जिनमें से अधिकांश चर्चा के लिए तैयार हैं। उसके बाद वो चारों असहमत जजों से मिलेंगे और अंत में मुख्य न्यायाधीश से। ये बैठक रविवार से शुरू होगी।
सुप्रीम कोर्ट के चार शीर्ष जजों की ओर से सर्वोच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जाने से उपजे संकट के बीच चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा बगावती तेवर अपनाने वाले जजों से रविवार को मुलाकात कर सकते हैं।
इनमें से दो जजों ने शनिवार को मुद्दा सुलझाने की ओर इशारा भी किया है। बागी तेवर अपनाए चार में से तीन जज राष्ट्रीय राजधानी से बाहर हैं और रविवार दोपहर तक उनके यहां वापस आने की संभावना है।
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न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने कोच्चि में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कोई भी संवैधानिक संकट नहीं है और जो मुद्दे उन लोगों ने उठाए हैं, उनके सुलझने की पूरी संभावना है।
जस्टिस जोसेफ ने कहा, 'हमने एक उद्देश्य को लेकर ऐसा किया था और मेरे विचार से यह मुद्दा सुलझता दिख रहा है। यह किसी के खिलाफ नहीं था और न ही इसमें हमारा कुछ निजी स्वार्थ था। यह सुप्रीम कोर्ट में ज्यादा पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से किया गया था।'
बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार शीर्ष जजों ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर मामलों को उचित पीठ को आवंटित करने के नियम का पालन नहीं करने का आरोप लगाया था।
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