logo-image

हिमाचल चुनाव 2017: क्या इस बार टूटेगा हिमाचल का सियासी ट्रेंड!

90 के दशक के बाद विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी ही एक-दूसरे को पराजित करते आई है और राज्य में मुख्य पार्टी के रूप में सत्ता हासिल की है।

Updated on: 09 Nov 2017, 12:01 AM

highlights

  • 90 के दशक के बाद से हिमाचल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी ही एक-दूसरे को पराजित करते आई है
  • बीजेपी ने दो बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रह चुके 73 वर्षीय प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया
  • चुनाव के मतों की गिनती 18 दिसंबर को गुजरात चुनाव के साथ ही की जाएगी

नई दिल्ली:

हिमाचल प्रदेश की 68 सीटों पर होने जा रहा विधानसभा चुनाव हर बार की तरह इस बार भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर साबित होने जा रही है।

चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने अपने पुराने दिग्गजों को ही इस बार भी मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाया है।

बीजेपी ने दो बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रह चुके 73 वर्षीय प्रेम कुमार धूमल को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने 83 वर्षीय मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर एक बार फिर मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाकर दांव खेला है।

पिछले पांच विधानसभा चुनावों के आंकड़ों को देखने के बाद हिमाचल प्रदेश के सियासी समीकरण की रोचक जानकारी मिलती है। राज्य में अभी तक हर चुनाव में सरकारों के बदल जाने की परंपरा रही है।

यह ट्रेंड 90 के दशक से हिमाचल प्रदेश के चुनावों में जारी रहा है। पिछले पांच विधानसभा चुनावों के नतीजों को देखकर हिमाचल प्रदेश के इस चुनावी ट्रेंड को आसानी से समझा जा सकता है।

ऐसे में मौजूदा चुनाव को लेकर सबकी नजरें इस बात पर टिकी होंगी कि क्या इस बार हिमाचल में पिछले करीब दो दशक से जारी ट्रेंड टूट पाएगा या फिर इतिहास अपने को दोहराएगा।

2012 विधानसभा चुनाव

2012 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन बीजेपी शासित सरकार को हार का सामना करना पड़ा था। 68 सीटों पर लड़े गए चुनाव में बीजेपी को 16 सीटों का नुकसान हुआ और 26 सीटों पर जीत हासिल की।

वहीं कांग्रेस ने 36 सीटों पर जीत दर्ज कर दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाई और शिमला ग्रामीण से विधायक वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री चुने गए।

इस चुनाव में 6 स्वतंत्र उम्मीदवारों को भी जीत हासिल हुई थी।

2007 विधानसभा चुनाव

2007 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 41 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी। वहीं कांग्रेस पार्टी को सिर्फ 23 सीटों पर संतुष्ट होना पड़ा था।

बामसन सीट से विधायक प्रेम कुमार धूमल दूसरी बार मुख्यमंत्री चुने गए थे। वहीं इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को भी एक सीट हासिल हुई।

साथ ही तीन सीटों पर निर्दलीय और अन्य उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।

2003 विधानसभा चुनाव

फरवरी महीने में हुए इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 68 में से 43 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई। कांग्रेस को इस चुनाव में कुल 41% मत हासिल हुए थे। वहीं बीजेपी ने भी 35.38% वोट हासिल कर 16 सीटों पर कब्जा जमाया और मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई।

वीरभद्र सिंह को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाया गया।

और पढ़ें: हिमाचल चुनाव: कल डाले जाएंगे वोट, कांग्रेस-बीजेपी में सीधा मुकाबला

1998 विधानसभा चुनाव

इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों मुख्य पार्टियों को बहुमत हासिल नहीं हो सकी और दोनों पार्टियों को 31 सीटें हासिल हुई। वहीं क्षेत्रीय पार्टी हिमाचल विकास कांग्रेस को 5 सीटें हासिल हुई थी।

कुल 39% वोट हासिल करने वाली बीजेपी ने हिविकां के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस को 43.5% वोट हासिल हुई थी।

इस चुनाव परिणाम के बाद सरकार बनाने के समय कांग्रेस पर हिविकां के विधायकों को खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगा था। हिविकां के विधायकों को सरकार बनाने तक राज्य के बाहर छुपाकर रखा गया था।

1993 विधानसभा चुनाव

इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 1985 के चुनाव के बाद एक बार फिर बड़ी जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने इस चुनाव में 49.82% वोटों के साथ कुल 52 सीटें हासिल की थी और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बनाए गए थे। वहीं बीजेपी ने 36% वोट हासिल कर सिर्फ 8 सीटें हासिल कर सकी थी।

बता दें कि मौजूदा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) 42 सीटों पर, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) 14 सीटों पर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) तीन, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) दो-दो सीटों पर चुनाव लड़ रहीं हैं।

और पढ़ें: हिमाचल चुनाव: बीजेपी ने लगाई एड़ी-चोटी का जोर, चुनावी मुद्दा न बन पाए GST