Childhood Obesity: बच्चों में मोटापा बन सकती है एक गंभीर समस्या, जानें इसके कारण और बचाव के उपाय
Childhood Obesity: बचपन में मोटापा एक ऐसी समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाता है, मोटापे के कारण बच्चों को कई बीमारियां होने का खतरा रहता है, आइए जानें क्या हैं इसके कारण और उपाय
नई दिल्ली:
Childhood Obesity: बचपन में मोटापा (Childhood Obesity) एक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें बच्चे अत्यधिक वजन और चर्बी का सामना करते हैं, जो कि उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है. इस समस्या के मुख्य कारण में अन्योन्य आहार, अत्यधिक तेल और मिठाई का सेवन, अपशिष्ट व्यायाम की कमी, और जीवनशैली में बदलाव शामिल हो सकते हैं. बच्चों में मोटापा कई समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे स्वास्थ्य समस्याएं जैसे डायबिटीज, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, और आंतें मस्तिष्क सम्बंधित समस्याएं. इसके अतिरिक्त, मोटापा सामाजिक और भावनात्मक समस्याओं का कारण भी बन सकता है, जैसे खुद को बुरा महसूस करना, आत्मविश्वास की कमी, और अन्य लोगों द्वारा नकारात्मक टिप्पणियों का सामना करना. समाज में बेहतर जागरूकता और सही जानकारी के माध्यम से, लोग बच्चों को स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और सही जीवनशैली की ओर प्रोत्साहित कर सकते हैं. इसके लिए परिवार, स्कूल, समाज, और सरकार सभी को साथ मिलकर काम करना होगा. अगर आंकड़ों की बात करें तो, भारत में 1 करोड़ से भी ज्यादा बच्चें मोटापे से ग्रसित है, इस मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है
बचपन में मोटापा (Childhood Obesity) के कारण
अनियमित आहार: अधिक तेल, चीनी, और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन बच्चों को अत्यधिक कैलोरीज़ प्राप्त करने का कारण बन सकता है.
कम व्यायाम: अधिक समय टीवी देखना, कंप्यूटर खेलना, और बैठे रहने का आदत बच्चों को शारीरिक गतिविधियों से दूर रख सकता है.
आदतों का प्रभाव: परिवारी आदतों, स्वास्थ्य और व्यवसायिक चुनाव, और सामाजिक दबाव बच्चों के आहार और व्यायाम पर प्रभाव डाल सकते हैं.
जीवनशैली: बच्चों की अनियमित नींद, लोगों के साथ सामाजिक समय की कमी, और स्कूल और समाज में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी भी मोटापे का कारण बन सकती हैं.
जेनेटिक फैक्टर्स: कुछ ग्रहणशील बच्चे अत्यधिक वजन और मोटापे के लिए जीनेटिक प्रवृत्ति के लिए प्राकृतिक प्रवृत्ति हो सकती है.
चपन में मोटापा (Childhood Obesity) के कुछ मुख्य लक्षण
वजन की बढ़ोतरी: बच्चों में अत्यधिक वजन और चर्बी की बढ़ोतरी होती है, जो उनके आयु और ऊंचाई के अनुसार सामान्य से अधिक हो सकती है.
शारीरिक समस्याएँ: मोटापे के कारण बच्चों को शारीरिक समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे कमर दर्द, घातक रोग, वायरल इंफेक्शन के अधिक रिस्क, जोड़ों और अवयवों में दर्द या स्थितियों की बढ़ती संभावना.
सामजिक और भावनात्मक प्रभाव: मोटापा बच्चों में स्वास्थ्य से जुड़ी सामजिक और भावनात्मक समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे खुद को बुरा महसूस करना, आत्मविश्वास की कमी, और सामाजिक अलगाव.
सामाजिक रूप से परिष्कृत: मोटापा बच्चों को सामाजिक रूप से परिष्कृति के निशान बना सकता है, जिसमें उन्हें अन्य बच्चों के साथ समय बिताने में कठिनाई हो सकती है.
स्वास्थ्य समस्याएँ: मोटापा बच्चों में विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, और आंत्र मस्तिष्क संबंधित समस्याएँ.
बचपन में मोटापे (Childhood Obesity) को कम करने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय
स्वस्थ आहार: बच्चों को स्वस्थ और पौष्टिक आहार खिलाना महत्वपूर्ण है. इसमें फल, सब्जियां, अनाज, दूध और दूध से बने उत्पादों का सेवन शामिल है. अधिकतम प्रोसेस्ड और जंक फ़ूड्स का सेवन को कम करना चाहिए.
नियमित व्यायाम: बच्चों को नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियों में शामिल करना चाहिए. व्यायाम करने के लिए पार्क या खेल मैदान जाना, साइकिलिंग, फुटबॉल, बास्केटबॉल या किसी अन्य खेल में भाग लेना शामिल हो सकता है.
स्क्रीन समय को कम करें: बच्चों को स्क्रीन समय को कम करने के लिए प्रोत्साहित करें, जैसे कि टीवी देखना, कंप्यूटर, मोबाइल या टैबलेट खेलना.
परिवारिक सपोर्ट: परिवार को मिलकर बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. इसमें साथ में नियमित व्यायाम करना, स्वस्थ आहार बनाना, और स्वस्थ जीवनशैली के लिए उन्हें प्रेरित करना शामिल है.
स्कूल का सपोर्ट: स्कूलों को स्वस्थ आहार के विकल्प प्रदान करने, व्यायाम कार्यक्रमों को संचालित करने और स्वस्थ जीवनशैली के महत्व को छात्रों को सिखाने में मदद करनी चाहिए.
चिकित्सा सहायता: यदि बच्चे का वजन विशेषज्ञ द्वारा निर्धारित स्वस्थ रेंज से अधिक है, तो प्रोफेशनल सलाह और चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण हो सकता है.
इन उपायों का पालन करके, परिवार, स्कूल और समाज स्वस्थ बच्चों के विकास में सहायक हो सकते हैं और मोटापे को कम करने में मदद कर सकते हैं, हालांकि, इन सब के साथ-साथ एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह लेना भी जरूरी है.
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