72 Hoorain: फिल्म '72 हूरें' आतंकवाद के खिलाफ देती है एक कड़ा संदेश
फिल्म '72 हूरें' अब सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. फिल्म में पवन मल्होत्रा, आमिर बशीर, सरू मैनी, राशिद नाज़, अशोक पाठक और नम्रता दीक्षित जैसे कलाकार शामिल हैं.
highlights
- कलाकार : पवन मल्होत्रा, आमिर बशीर, सरू मैनी, राशिद नाज़, अशोक पाठक, नम्रता दीक्षित
- निर्देशक : संजय पूरण सिंह चौहान
- लेखक - अनिल पांडेय
- निर्माता : गुलाब सिंह तंवर, किरण डागर, अनिरुद्ध तंवर
- सह-निर्माता - अशोक पंडित
- रेटिंग : 4 स्टार
New Delhi:
72 Hoorain Review: धर्म के नाम पर पूरी दुनिया में आतंकवाद के बढ़ते दबदबे से किसी तरह से इनकार नहीं किया जा सकता है. यह एक ऐसा पेचीदा मसला रहा है जिसकी अच्छी तरह से पड़ताल करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया जाता रहा है. मगर सिनेमाई दुनिया में इसपर तमाम फ़िल्में बनने के बावजूद कभी धर्म की आड़ में आतंकवाद के गोरखधंधे की पीछे छिपी मंशा को इस तरह से खंगाला नहीं गया, जैसा कि आज रिलीज़ हुई फ़िल्म '72 हूरें' में देखने को मिलता है.
फ़िल्म '72 हूरें' के निर्देशन के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार प्राप्त कर चुके फ़िल्मकार संजय पूरण सिंह चौहान धर्म के नाम पर चलाये जा रहे रैकेट को वास्तविकता के साथ-साथ काल्पनिकता के सहारे गढ़ी गई एक उम्दा कहानी को सशक्त अंदाज़ में पेश कर आतंकवाद को लेकर तमाम ज़रूरी सवाल उठाते हैं.
पूरी फ़िल्म में कहीं भी ऐसा महसूस नहीं होता है कि निर्देशक संजय पूरण सिंह चौहान आतंकवाद जैसे संजीदा मसले को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं या फिर दर्शकों को महज़बी आतंकवाद की बुराइयों पर ज्ञान बांट रहे हैं. इन सबसे इतर, निर्देशक आतंकवाद और ऐसी भयानक गतिविधियों के पीछे छुपी मंशाओं को खंगालने की ईमानदार कोशिश करते हुए दिखाई देते है और यही बात इस फ़िल्म की सबसे बड़ी ख़ासियत के तौर पर उभरकर सामने आती है.
फ़िल्म में दिखाया गया है कि कितनी आसानी से लोगों को आतंकवादी बनने के लिए बरगलाया और आतंकवाद की भयावह घटनाओं को अंजाम देने के लिए उकसाया जाता है. कैसे आतंकवादियों से क़त्ल-ए-आम कराये जाने के बदले में उन्हें जन्नत में हूरों के साथ अय्याशी करने का लालच दिया जाता है जो बाद में झूठ का पुलिंदा साबित होते हैं.
पूरी फ़िल्म दो आतंकवादियों के इर्द-गिर्द घूमती है जिनकी भूमिकाओं को जीवंत किया है उम्दा कलाकारों के तौर पर अपनी पहचान रखने वाले पवन मल्होत्रा और आमिर बशीर ने. दोनों का किरदार इस क़दर सशक्त है कि आप दोनों के अभिनय से प्रभावित हुए बग़ैर नहीं रह पाएंगे. अन्य कलाकारों ने भी अपने-अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया है.
फ़िल्म '72 हूरें' के निर्देशक संजय पूरण सिंह चौहान हमें इस फ़िल्म के ज़रिए इस बात की याद दिलाते रहते है कि धर्म के नाम पर रचे जाने वाले आडम्बर की आड़ में पनपने वाले आतंकवाद जैसे संजीदा मसले पर पूरी संजीदगी और ईमानदारी के साथ और फ़िल्में बनाने और साथ ही दर्शकों को जागरुक बनाने की आवश्यकता है.
धार्मिक कट्टरता से उपजने वाले आतंकवाद पर बनी यह फ़िल्म बड़े ही दिल दहला देने वाले अंदाज़ में इस मसले की अच्छी तरह से पड़ताल करती हैं और इसकी मंशा को बड़ी शिद्दत से जानने और दर्शकों को इसके बारे में जागरुक करने की कोशिश करती है. आप भी आतंकवाद की जड़ों को टटोलती इस फ़िल्म से जुड़े अभूतपूर्व किस्म के अनुभव को हासिल करने के लिए इस फ़िल्म को सिनेमा के पर्दे पर एक बार अवश्य देंखे.
Report By - सौरभ शर्मा
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