सिलीगुड़ी विधानसभा सीट पर कांग्रेस-वाम मोर्चा में होती है कड़ी टक्कर
सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र (Siliguri Vidhan Sabha Constituency) में चुनावी पारा उफान पर है. सिलीगुड़ी विधानसभा सीट (Siliguri Vidhan Sabha) पर हर पार्टी की निगाहें टिकी हुई है.
highlights
- सिलीगुड़ी विधानसभा ऐसी सीट से कांग्रेस ने 6 बार तो, वाम मोर्चा ने नौ बार बाजी मारी है.
- तृणमूल कांग्रेस को एक बार इस सीट पर जीत का स्वाद चखने को मिला है.
- साल 1977 में राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ और वामो ने सत्ता पर कब्जा कर लिया.
सिलीगुड़ी:
सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र (Siliguri Vidhan Sabha Constituency) में चुनावी पारा उफान पर है. सिलीगुड़ी विधानसभा सीट (Siliguri Vidhan Sabha) पर हर पार्टी की निगाहें टिकी हुई है. क्योंकि सिलीगुड़ी (Siliguri) राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और इसे एक तरह से उत्तर बंगाल की अघोषित राजधानी भी कहा जाता है. सिलीगुड़ी विधानसभा सीट (Siliguri Vidhan Sabha Constituency) पश्चिम बंगाल की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट भी है, जहां साल 2016 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने जीत दर्ज की थी. वहीं, इसबार किस पार्टी का कब्जा इस अघोषित राजधानी पर होगा यह कहा नहीं जा सकता. यहां पर साल 1951 से लेकर अब तक कई मौकों पर इस सीट पर कांग्रेस या फिर वाम मोर्चा का ही कब्जा रहा है.
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सिलीगुड़ी विधानसभा (Siliguri Vidhan Sabha) ऐसी सीट से कांग्रेस ने 6 बार तो, वाम मोर्चा ने नौ बार बाजी मारी है. जबकि तृणमूल कांग्रेस को एक बार इस सीट पर जीत का स्वाद चखने को मिला है. भारतीय जनता पार्टी अभी भी जीत का इंतजार कर रही है. वहीं, इस बार विधानसभा सीट पर किसका कब्जा होगा यह कहना अभी मुश्किल है. बता दें कि, सिलीगुड़ी विधान सभा का गठन साल 1951 में हो गया था. तब सिलीगुड़ी और कर्सियांग को मिलाकर एक विधानसभा क्षेत्र था.
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साल 1951 से लेकर साल 2016 तक इस विधानसभा सीट पर 9 बार वाम मोर्चा उम्मीदवारों ने बाजी मारी है, तो 6 बार कांग्रेस की जीत हासिल हुई है. साल 1977 से पहले ज्यादातर समय तक इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा था. साल 1977 में राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ और वामो ने सत्ता पर कब्जा कर लिया.
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