PSLV से विदेशी कमर्शियल सैटेलाइट्स लॉन्च कर ISRO कर रहा है ताबड़तोड़ कमाई
पीएसएलवी-सी37 के जरिये 104 सैटेलाइट्स को छोड़कर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विश्व इतिहास बना लिया।
highlights
- पीएसएलवी-सी37 के जरिये 104 सैटेलाइट्स को छोड़कर इसरो ने रचा इतिहास
- कर्मशियल के मामले में भी इसरो बाकी संगठनों के मुकाबले सफलता दर 100 फीसदी
- 2011 से अगस्त 2016 तक अंतरिक्ष कार्पोरेशन 896 करोड़ का मुनाफा
नई दिल्ली:
पीएसएलवी-सी37 के जरिये 104 सैटेलाइट्स को छोड़कर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विश्व इतिहास बना लिया। इस विश्व इतिहास के साथ ही इसरो का ये अब तक का सबसे बड़ा कर्मशियल लॉन्च है। इस लॉन्च में अमेरिका की सैनफ्रांसिस्कों की एक कंपनी के 88 समेत कुल 96 और इजरायल, हॉलैंड, यूएई, स्विट्जरलैंड और कजाकिस्तान के एक-एक सैटेलाइट्स शामिल है।
इसरो चेयरमैन ए एस किरण कुमार ने बताया था,' हम अपनी पूरी क्षमता का प्रयोग करने चाहते है। इस लॉन्च में तीन भारतीय सैटेलाइट्स भी शामिल होंगी। जिसमें से एक 730 किलो की है जबकि बाकी दो 19 किलो प्रति की है। हम इसमें 101 सैटेलाइट को स्थापित किया है।' इस लॉन्च की कीमत का खुलासा नहीं करते हुए कुमार ने कहा था कि हमारी सैटेलाइट्स का आधा खर्चा विदेशी सैटेलाइट्स की लॉन्च से ही निकल जाएगा।
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2016 तक इसरो ने 121 में 75 विदेशी सैटेलाइट्स को लांच किया। इन लॉन्च की मदद से 2015 में इसरो की कमर्शियल विंग अंतरिक्ष कार्पोरेशन के विदेशी मुद्रा राजस्व में 204.6 फीसदी बढ़ा। 2015-16 में कमर्शियल लॉन्च से इसरो ने 230 करोड़ की कमाई की जो कि पिछले तीन वर्षों में इसरो के औसत खर्च के 4 फीसदी है। 2011 से अगस्त 2016 तक अंतरिक्ष कार्पोरेशन ने 896 करोड़ का मुनाफा कमाया।
स्पेस एजेंसी राजस्व बढ़ाने के लिए हर साल करीब 18 विदेशी लॉन्च करने पर विचार कर रही है। इसरो की कम कीमतें विदेशी कंपनियों को ज्यादा आकर्षित करती है। इसरो की तुलना में एरीनस्पेस और स्पेसएक्स निजी स्पेस कंपनिया कीमत के अनुसार अभी भी सफल नहीं है। विदेशी सैटेलाइट्स लॉन्च के मामले में इसरो की सफलता दर 100 फीसदी है।
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सब्सिडी के बाद एरीनस्पेस के रॉकेट पर सैटेलाइट्स को लॉन्च करने का खर्चा $100 मिलियन आता है। वहीं स्पेसएक्स इसके लिए $60 मिलियन लेता है। जबकि इसरो ने 2013 से 2015 के बीच प्रति सैटेलाइट की लॉन्च के लिए औसतन $3 मिलियन लिया।
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