गुजरात के रण का पहला दिन आज, क्या जीएसटी-नोटबंदी रहेगा मुद्दा?
अर्थव्यवस्था के लिहाज से गुजरात देश का पांचवा सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। देश की जीडीपी में हिस्सेदारी के लिहाज़ से मुंबई, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के बाद गुजरात का नंबर आता है।
highlights
- गुजरात चुनाव में जीएसटी और नोटबंदी कितना बड़ा फैक्टर रहेगा सभी की निगाहें इसी पर टिकीं है
- सूरत शहर में जीएसटी के खिलाफ सबसे तेज़ विरोध प्रदर्शन भी हुआ था
नई दिल्ली:
गुजरात चुनाव में वोटिंग का पहला फेज़ शनिवार को है। इस बीच गुजरात चुनाव में जीएसटी और नोटबंदी कितना बड़ा फैक्टर रहेगा सभी की निगाहें इसी पर टिकीं है। गुजरात चुनाव में जितना इंतज़ार वोटिंग शुरू होने का है इससे कहीं ज़्यादा इंतज़ार काउंटिंग डे (मतगणना के दिन)का है।
देश की राजनीति और विकास में गुजरात का कितना महत्व है... इस पर नज़र डालना ज़रुरी है।
देश की अर्थव्यवस्था में गुजरात का योगदान
अर्थव्यवस्था के लिहाज से गुजरात देश का पांचवा सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। देश की जीडीपी में हिस्सेदारी के लिहाज़ से मुंबई, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के बाद गुजरात का नंबर आता है। 172 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था वाले भारत में गुजरात की जीडीपी (वित्त वर्ष 2017-18 में अनुमानित) 12.75 लाख करोड़ रुपये है।
गुजरात कपड़ा उद्योग का हब है। कपड़ा उद्योग में गुजरात की हिस्सेदारी 12% है। गुजरात का अहमदाबाद भारत के 7वें सबसे बड़े मेट्रोपोलिटन शहर में है और इसे 'मैनचेस्टर ऑफ़ इंडिया' कहा जाता है। इस शहर में कपड़ा उत्पादन और उससे संबंधित उद्योगों की लगभग 250 यूनिट हैं।
वहीं 'राज्य का सिल्क सिटी' यानि सूरत कपड़ा उद्योग का बड़ा शहर है। सूरत में साढ़े छह लाख तक सूत काटने की मशीनें (पावरलूम) हैं, जिससे चार लाख मीट्रिक टन सूत का उत्पादन होता है। सूरत शहर में जीएसटी के खिलाफ सबसे तेज़ विरोध प्रदर्शन भी हुआ था।
गुजरात की अर्थव्यवस्था
सिर्फ कपड़ा ही नहीं गुजरात, कृषि के अलावा फर्टिलाइज़र, पेट्रोकेमिकल्स, कैमिकल उत्पादन में भी अग्रणी राज्य है। इतना ही नहीं गुजरात टूरिज़्म का भी बड़ा हब है और देश ही नहीं विदेशों तक में प्रसिद्ध है।
हर साल यहां लाखों की संख्या में टूरिस्ट आते हैं। ग्रेट रन ऑफ कच्छ, सापूतारा, एशियाटिक लायन्स, मुगलईयां कारीगरी और इमारतें, के लिए जाना जाता है। अमिताभ बच्चन गुजरात टूरिज़्म के ब्रांड एंबेस्डर हैं और इनके 'खुशबू गुजरात की' कैंपेन के बाद गुजरात टूरिज़्म 14 फीसदी की दर से बढ़ा था।
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ऐसे में अब यह ज़ाहिर सा सवाल है कि देश का इतना महत्वपूर्ण राज्य पर केंद्र की आर्थिक नीतियों का क्या असर हुआ होगा, और इस चुनाव में नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदम कितना अहम मुद्दा बन सकता है।
चुनाव में कितना बड़ा मुद्दा है जीएसटी और नोटबंदी?
गुजरात के पालिका बाज़ार जाकर न्यूज़ नेशन ने इस सवाल का जवाब टटोलने की कोशिश की। यहां कारोबारियों ने कहा कि चुनाव में जीएसटी नोटबंदी उतना बड़ा मुद्दा नहीं है लेकिन विकास आज भी एक बड़ा मुद्दा है।
एक कारोबारी ने बताया, 'जीएसटी अच्छा कदम है लेकिन छोटे व्यापारियों पर सरकार को और ध्यान देने की ज़रुरत है उनके लोन के के लिए कागज़ी कार्यवाही की प्रक्रिया आसान होनी चाहिए।' हालांकि ग्राहकों का मानना है कि सरकार को जीएसटी की दरों में अभी और कमी करनी चाहिए।
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वहीं, अहमदाबाद के लोग सरकार के विकास की गति को धीमे बता रही है। यहां के लोगों का मानना है कि सरकार जिस विकास का दावा करती है वो विकास शहरों में देखा जा सकता है लेकिन गांवों में नहीं।
को चुनाव का पहला चरण है जबकि 14 दिसंबर को दूसरे चरण के चुनाव होने है। इन दोनों चरणों समेत गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव के नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे। इसी दिन तय हो जाएगा दोनों प्रदेशों की गद्दी पर जनता किसे बैठाएगी।
बहरहाल अभी तक की पड़ताल में जीएसटी और नोटबंदी का मुद्दा हल्का लेकिन विकास अभी भी सबकी लिस्ट में पहले नंबर पर है।
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