Mustard में छिपी है किसानों की भलाई, जानें कैसे बदल सकती है किस्मत
सरकार किसानों (Farmer) की आय दोगुनी (Farmers Income) करना चाहती है. इसमें सरसों (Mustard) मदद कर सकती है.
नई दिल्ली:
भारत सरकार 2022 तक किसानों (Farmer) की आय दोगुनी (Farmers Income) करना चाहती है. नीति आयोग ने इस सराहनीय उपलब्धि को हासिल करने के लिए औचित्य, रणनीति और कार्ययोजना के साथ रूपरेखा तैयार की है. हम विश्वास करते हैं कि इस तरह की योजना के लिए अलग से उपाय को अपनाने की जरूरत है, जो सरसों (Mustard) के किसानों (Farmer) पर ध्यान केंद्रित करे और सरसों (Mustard) को एक फसल के रूप में आगे बढ़ाएं.
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ऑयल मिल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विवेक पुरी के अनुसार भारतीय परिदृश्य में कृषि, आर्थिक और पोषकता के क्षेत्र में सरसों (Mustard) की महत्ता बहुत अधिक है. यह देश की सबसे महत्वपूर्ण शरदकालीन तिलहन फसल है. 2015-16 में लगभग 70 लाख हेक्टेयर भूमि पर सरसों (Mustard) की फसल को लगाया गया और इसका उत्पादन 68.2 लाख टन हुआ. इसके साथ ही 2016-17 के लिए उत्पादन अनुमान 79 लाख रखा गया. लाखों किसानों (Farmer) और उनके परिवार इससे अपनी जीविका चलाते हैं.
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अगर अन्य तिलहन फसल (Oilseed crop) पर विचार करें तो मूंगफली (peanut) को केवल 6.39 लाख हेक्टेयर में लगाया गया है, जोकि सरसों (Mustard) फसल के क्षेत्रफल का केवल 10वां भाग है. अलसी (लिनसिड) (Linseed) को 4.01 लाख हेक्टेयर में, सूरजमुखी (Sunflower) को 1.74 लाख हेक्टेयर में, तिल (Mole) के बीज को 0.68 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर (Sunflower) को 0.62 लाख हेक्टेयर में लगाया गया है.
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सरसों (Mustard) की महत्ता के कारण एक राष्ट्रीय सरसों नीति विकसित की जाए. चाहे वह कृषि सामग्री के तौर पर हो, या भोजन पकाने के तेल के तौर पर हो, चाहे पोषण के स्तर पर हो या फिर सामान्य स्वास्थ्य स्तर पर या विशेष स्तर पर हृदय संबंधी समस्या हो, इन सब में इसकी महत्ता है और हर स्तर पर इसे बढ़ावा देना चाहिए.
मौजूदा समय में, सरकार के पास सरसों (Mustard) को किसानों (Farmer) के लिए एक नकदी फसल के तौर पर आगे बढ़ाने के लिए केंद्रित नीति नहीं है. आदर्श रूप में इस तरह की नीति से सरसों की खेती के क्षेत्र में विस्तार होना चाहिए, सरसों तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी कर मांग-आपूर्ति के बीच अंतर में कमी होनी चाहिए.
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प्रस्तावित नीति को नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीइएक्स) को किसानों (Farmer) के हित में बनाने पर ध्यान देना चाहिए. इस वर्ष की शुरुआत में, वित्त मंत्रालय ने एक रूपरेखा को हरी झंडी दिखाई जो कृषि सामग्री विकल्पों की पेशकश करती है जिससे किसान (Farmer) कीमतों में प्रतिकूल बदलाव से खुद की रक्षा कर सकें और इसके खतरे को कम कर सकें. हालांकि, किसान (Farmer) खासकर सरसों के किसान (Farmer) आश्वासन के बावजूद न्यूनतम मूल्य और फसलों की लाभकारी कीमत प्राप्त नहीं कर सके हैं.
एक समग्र राष्ट्रीय सरसों नीति में इसके अनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) प्रकारों (अगर ऐसा भविष्य में संभव हुआ तो) को लाने के लिए स्पष्ट नियम और दिशा निर्देश तैयार करने की जरूरत है.
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