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सस्ती हो सकती है रोजमर्रा की वस्तुएं, GST काउंसिल लगाएगी मुहर!

वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में 10 नवंबर को होने वाली बैठक में कई सामानों को 28% जीएसटी से हटाकर कम टैक्स वाले स्लैब में रखा जाएगा।

Updated on: 05 Nov 2017, 07:42 PM

highlights

  • 10 नवंबर को होने वाली बैठक में कई सामानों को 28% GST से हटाकर कम टैक्स वाले स्लैब में रखा जाएगा
  • घरेलू उपयोग में आने वाले कई सामानों को 18% के जीएसटी स्लैब में रखा जा सकता है

नई दिल्ली:

अगले हफ्ते जीएसटी काउंसिल की होने वाली बैठक में कई घरेलू सामानों के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों को कम किया जा सकता है। हाथ से बने फर्नीचर, प्लास्टिक प्रोडक्ट्स, शैम्पू और कई घरेलू सामानों पर जीएसटी के स्लैब को कम किया जा सकता है।

सरकारी अधिकारी के मुताबिक, वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में 10 नवंबर को होने वाली बैठक में कई सामानों को 28% जीएसटी से हटाकर कम टैक्स वाले स्लैब में रखा जाएगा।

इसके अलावा छोटे और मध्यम उद्योगों को भी जीएसटी की दरों में रियायत मिल सकती है, जहां जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स की दरें बढ़ गई थी।

जुलाई महीने में कई सारे केन्द्रीय और राज्यों के टैक्स को हटाकर जीएसटी को लागू किया गया, जिसके बाद हर महीने सरकार जीएसटी काउंसिल की बैठक कर रही है, ताकि ग्राहकों और व्यवसायों को जीएसटी को लेकर होने वाली तमाम समस्याओं को हल किया जा सके।

अधिकारी ने कहा, 'घरेलू उपयोग में आने वाले कई सामानों को 18% के जीएसटी स्लैब में रखा जा सकता है। साथ ही फर्नीचर, इलैक्ट्रिक स्विचेज, प्लास्टिक पाइप जैसी चीजों की जीएसटी दरों को कम किया जा सकता है।'

अभी सभी तरह के फर्नीचरों को 28% के जीएसटी स्लैब में रखा गया है। हालांकि ज्यादातर लकड़ी के फर्नीचर असंगठित क्षेत्रों के कामगारों और मध्यमवर्गीय परिवारों द्वारा हाथ से बनाया जाता है, जिसके कारण फर्नीचर के टैक्स को रिवाइज किया जा सकता है।

इसके अलावा वजन करने वाली मशीनें, कम्प्रेशर पर लगने वाले 28% जीएसटी दर को 18% के स्लैब में लाया जाएगा।

जीएसटी काउंसिल के अंदर सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जो कि पहले से 100 से ज्यादा सामानों पर टैक्स की दरों को कम करने का सुझाव दें चुके हैं।

आपको बता दें कि सरकार ने जीएसटी के अंदर चार तरह के टैक्स स्लैब बनाए थे, जो 5%, 12%, 18% और 28% था। जुलाई महीने में एक्सजाइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स और वैट जैसे दर्जनों टैक्स को हटाकर जीएसटी को लाया गया था।

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