नीतीश कुमार-शरद यादव अब कितने दूर कितने पास, क्या दोनों होंगे अलग
इस वक्त जेडीयू में माना जा रहा है कि दो खेमे बन गए हैं। एक तरफ शरद यादव के समर्थक है तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार।
नई दिल्ली:
बिहार में बदले राजनीतिक समीकरण के बाद से ही जेडीयू में नीतीश कुमार और शरद यादव के बीच रिस्तों का समीकरण भी बदलने लगा है। हाल में ही नीतीश का बीजेपी के साथ सरकार बनाने और बिहार में महा-गठबंधन तोड़ने के बाद से ही पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव नीतीश से नाराज है। माना जा रहा है जेडीयू में इस वक्त दो खेमे बन गए हैं। एक तरफ शरद यादव के समर्थक है तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के।
जेपी आंदोलन की उपज बिहार की राजनीति के दो बड़े चेहरों ने बिहार की सत्तासीन पार्टी जेडीयू की नींव 2003 में एक साथ मिलकर रखी थी मगर बदलते समय के साथ रिश्तें बदलते चले गए।
दोनों के बीच रिश्तों में सबसे पहले दूरी तब देखी गई जब पिछले साल जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव की जगह नीतीश खुद बन गए। पार्टी के संस्थापकों में एक हैं शरद यादव के लिए पार्टी में यह पहला मौका था जब उनका कद घटता हुआ प्रतीत हुआ।
इस साल भी कई महत्वपुर्ण मुद्दों पर दोनों के बीच मतभेद देखने को मिला। नोटबंदी हो या राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देना नीतीश और शरद बिलकुल अलग-अलग राहों पर नजर आए।
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हाल में ही बिहार में बीजेपी के साथ जब नीतीश ने गठबंधन तोड़ कर सरकार बनाया तो शरद यादव ने खुले तौर पर उनके फैसले का विरोध किया। उन्होंने साफ कहा कि वो नीतीश से सहमत नहीं थे।
गुजरात राज्यसभा चुनाव में नीतीश के अथक प्रयास के बाबजूद छोठू वसावा ने उनकी मर्जी के खिलाफ कांग्रेस पार्टी उमीदवार अहमद पटेल को वोट दिया। वसावा जेडीयू में शरद यादव खेमें के माने जाते हैं और कहा जा रहा है कि यह सब उनके इशारे पर ही हुआ है।
दोनों के बीच दिन-प्रतिदिन दूरिया बढ़ती जा रही है। गठबंधन टूटने के बाद आरजेडी प्रमुख लालू यादव का यह कहना कि शरद यादव से वह बातचीत कर रहे हैं और जरुरत पड़ी तो मोदी सरकार के खिलाफ शरद को विपक्ष का चेहरा बनाएंगे इस ओर इशारा करता है कि नीतीश से नाराज शरद यादव को गैर-बीजेपी दलों का चेहरा 2019 में विपक्ष बना सकता है।
17 अगस्त को शरद यादव दिल्ली में साम्प्रदायिकता पर एक सेमिनार करने जा रहे हैं। इसमें बीजेपी की विचारधारा से इत्तेफाक ना रखने वाले सभी दलों को बुलाया गया है। यह बैठक इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि इसमें नीतीश कुमार शामिल नहीं होंगे।
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दोनों के बीच पिछले 1 साल में बिगड़ते रिश्तों के समीकरण देखते हुए लगता है कि इसका असर बिहार और देश की राजनीतिक समीकरण पर भी होगा। ऐसी संभावनाएं हैं कि शरद यादव आने वाले वक्त में जेडीयू छोड़ आरजेडी का दामन थाम सकते हैं।
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