UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए ब्रिटेन ने की बड़ी वकालत
संयुक्त राष्ट्र महासभा में ब्रिटेन ने यह बात एनुअल डिबेट के दौरान उठाई. ब्रिटेन चाहता है कि यूएनएससी के 15 सदस्यों की संख्या में विस्तार किया जाए.
highlights
- बदलते समय में सुरक्षा परिषद में सुधार अपरिहार्य
- भारत, जर्मनी, ब्राजील, जापान को मिले स्थायी सीट
न्यूयॉर्क:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सीट के लिए ब्रिटेन ने वकालत की है. ब्रिटेन ने बदलते समय के साथ सुधार के तहत सिर्फ भारत (India) ही नहीं, बल्कि जर्मनी, जापान और ब्राजील को भी स्थायी सदस्य बनाने की पुरजोर दलील दी है. ब्रिटेन का कहना है कि सुरक्षा परिषद में विस्तार के तहत स्थायी और अस्थाय़ी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की बात करते हुए ब्रिटेन की स्थायी प्रतिनिधि बारबरा वुडवर्ड ने कहा कि हमारा पक्ष सभी को अच्छे से मालूम है. हम लंबे समय से स्थायी और अस्थायी सीट बढ़ाने की बात उठा रहे हैं. बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत समेत जर्मनी, जापान और ब्राजील को स्थायी सीट मिलनी ही चाहिए.
लंबे समय से सुधार है लंबित
संयुक्त राष्ट्र महासभा में ब्रिटेन ने यह बात एनुअल डिबेट के दौरान उठाई. ब्रिटेन चाहता है कि यूएनएससी के 15 सदस्यों की संख्या में विस्तार किया जाए. ब्रिटेन ने कहा कि समग्र विश्व इस समय एक-दूसरे से जुड़े संकट से जूझ रहा है. ऐसे में यूएनएससी की कार्यप्रणाली को पारदर्शी, समावेशी, जवाबदेह और प्रभावी समेत सभी के प्रतिनिधित्व से पूर्ण बनाने की जरूरत है. इस बीच भारत की संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने जी4 देशों की ओर से बोलते हुए कहा कि यह बेहद क्षोभ की बात है कि चार दशकों से समान प्रतिनिधित्व के बावजूद ठोस काम नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि वैधता और प्रभावशीलता के लिए प्रतिनिधित्व एक अपरिहार्य शर्त है. उन्होंने कहा कि लंबे समय से सुरक्षा परिषद का सुधार रुका होने से प्रतिनिधित्व में कमी देखी जा रही है.
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जी4 की ओर से भारत ने भी रखी बात
भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने जोर देकर कहा कि यही सही समय है कि सुरक्षा परिषद अपने चार्टर के अनुरूप जिम्मेदारी निभाए. इसके लिए संपूर्ण सदस्यता की प्राप्ति के लिए सुधार लाने ही होंगे. उन्होंने कहा कि जब तक स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या नहीं बढ़ती सुरक्षा परिषद अपने चार्टर के अनुरूप काम नहीं कर सकेगा. सदस्यों की संख्या में वृद्धि लाने के बाद ही वैश्विक संघर्ष और एक-दूसरे देशों से जुड़ी साझा चुनौतियों से निपटा जा सकेगा. गौरतलब है कि जी4 समूह में भारत के साथ ब्राजीन, जर्मनी और जापान देश शामिल हैं.
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