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पत्रकारों के लिये अफगानिस्तान दुनिया की दूसरी सबसे खतरनाक जगह

बीते साल अफगानिस्तान में पत्रकारों पर सबसे ज्यादा हमले हुए।

Updated on: 19 Jan 2017, 05:27 PM

नई दिल्ली:

बीते साल अफगानिस्तान में पत्रकारों पर सबसे ज्यादा हमले हुए। पूरी दुनिया में पत्रकारों के लिये सीरिया के बाद अफगानिस्तान सबसे का रेकॉर्ड सबसे खराब रहा। अफगानिस्तान के पत्रकार सुरक्षा समिति (एजेएससी) की तरफ से जारी रिपोर्ट में ये बात कही गई है।

पिछले साल अफगानिस्तान में करीब 13 पत्रकारों की हत्या की गई। जिनमें 10 हत्याओं के पीछे तालिबान का हाथ रहा है। समिति की कहना है कि 2016 में मीडिया के खिलाफ 101 हिंसा की वारदातें हुईं। जो 2015 की तुलना में 38 फीसदी ज्यादा है। यानि आतंक और गृहयुद्ध झेल रहा यह देश पत्रकारों के लिये सुरक्षित नहीं है।

एजेएससी के नजीब शरीफी ने कहा, "पत्रकारों के खिलाफ बढ़ रही हिंसा की घटनाओं ने सीरिया के बाद अफगानिस्तान को पत्रकारों के लिये दुनिया की सबसे खतरनाक जगह बना दी है।"

रिपार्ट में कहा गया है कि पत्रकार और मीडिया के प्रति तालिबान के बदला हुआ रुख़ "पत्रकारों और मीडिया के खिलाफ बढ़ती खतरनाक हिंसा का प्रमुख कारण रहा है।"

पिछले साल जनवरी में एक आत्मघाती हमले में अफगानिस्तान के लोकप्रिय चैनल टोलो के सात कर्मचारियों की हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद तालिबान ने कहा था कि उनके खिलाफ 'दुष्प्रचार' का बदला करार दिया था।

2001 में तालिबान को सत्ता से बाहर किये जाने के बाद ये अफगान मीडिया के खिलाफ पहला बड़ा हमला था। इस हमले से साबित हो गया था कि बढ़ते आतंकी हमले के कारण मीडिया कर्मियों के लिये स्थिति खतरनाक हो रही है।

पिछले साल जून में दक्षिण अफगानिस्तान के हेलमांड प्रांत में हुए तालिबान की तरफ से किये गए रॉकेट हमले में अमेरिकी पत्रकार डेविड गिल्के औऱ उनका अफगानी अनुवादक मारा गया था।

लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्रकारों के खिलाफ हुई ज्यादातर हिंसक घटनाओं में सुरक्षा बल के लोग शामिल रहे हैं। इसकी आलोचना यूरोपियन यूनियन ने भी की थी।
बयान में कहा गया है, "सरकार को कोशिश करनी चाहिये कि वो पत्रकारों को खिलाफ हिंसा करने वाले लोगों को सजा दिलाए।"

एजेएससी के आँकड़ों के अनुसार पिछले पांच साल में 28 पत्रकार और मीडिया कर्मियों की हत्या की गई है।