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भारत ने लैंगिक समानता के मामले में लगाई 21 स्‍थान की छलांग

इसके बावजूद भारत को वैश्विक स्तर पर बेहद पिछड़ा माना जा रहा है, क्योंकि भारत को 87वां स्थान मिला है।

Updated on: 26 Oct 2016, 07:52 PM

नई दिल्ली:

भारत ने लैंगिक समानता के मामले में पिछले साल की तुलना में 21 स्थानों की बढ़त हासिल की है। भारत को मिली बढ़त मुख्य रूप से शिक्षा के क्षेत्र में है, हालांकि आईसलैंड इस सूची में सबसे ऊपर है। वहीं दूसरे नम्बर पर फिनलैंड, तीसरे पर नॉर्वे और चौथे स्थान पर स्वीडन हैं।

इसके बावजूद भारत को वैश्विक स्तर पर बेहद पिछड़ा माना जा रहा है, क्योंकि भारत को 87वां स्थान मिला है।

जेनेवा के विश्‍व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) द्वारा तैयार किए गए वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक में भारत को 108वीं रैंक मिली है। शिक्षा हासिल करने में भारत को 113वां स्थान मिला है। स्वास्थ्य एवं जीवित बचने के मामलों में इसे निचला 142वां स्थान मिला, वहीं राजनीतिक सशक्तीकरण के मामले में यह शीर्ष 10 देशों में रहा।

विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक लैंगिक अंतर रिपोर्ट 2016 के अनुसार, वैश्विक कार्यस्थल लैंगिक अंतर और भी अधिक बढ़ा। वहीं लैंगिक आधार पर आर्थिक बराबरी आने में 170 और साल लग सकते हैं

भारत में इस साल लैंगिक अंतर में दो प्रतिशत की कमी आई है, वैश्विक आर्थिक मंच द्वारा आंके गए चार क्षेत्रों में यह अंतर 68 प्रतिशत का है। ये चार क्षेत्र हैं- अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य और राजनीतिक प्रतिनिधित्व।

डब्ल्यूईएफ ने कहा कि सबसे ज्यादा सुधार शिक्षा के क्षेत्र में हुआ है, जहां ''भारत प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में अपने अंतर को पाटने में पूरी तरह सफल रहा है।'' मंच ने कहा कि आर्थिक परिदृश्य में ''और अधिक काम किया जाना बाकी है।'' इस क्षेत्र में 144 देशों में भारत 136वें स्थान पर है।