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अब ऑनलाइन दवा की दुकानों पर चलेगा चाबुक, चुनाव बाद बंद करने की तैयारी

E-Pharmacy Rules: वर्तमान युग में सबकुछ ऑनलाइन उपलब्ध है. लेकिन दवा ऑनलाइन होने के कई नुकसान समझ में आ रहे हैं. जिसकी वजह से उन्हें बंद करने के लिए योजना बनाई जा रही है.

Updated on: 20 Mar 2024, 11:48 AM

highlights

  • नियमों का उलंघन करने पर होगी कड़ी कार्रवाई, पिछले साल सैंकड़ों ई-फार्मेंसी को दिया गया था नोटिस
  • इसके बावजूद भी धड़ल्ले से चल रही दवा की दुकानें 
  • डिजिटली युग में बिना चिकित्सक की सलाह के मंगवाई जा रही दवाइयां

नई दिल्ली :

E-Pharmacy Rules: डिजिटली युग में  कोई भी सामान हो सब ऑनलाइन मंगाया जा रहा है. लेकिन मेडिसन ऑनलाइन मंगाना खतरे से खाली नहीं है. क्योंकि बिना चिकित्सक की परमीशन के कोई भी दवाई अपनी मर्जी से लेना खतरनाक हो सकता है. पिछले साल भी विभाग ने कई दवा की दुकानों को नोटिस दिया था. साथ ही ई-फार्मेंसी के खिलाफ कानून बनाने की बात कही थी. बताया जा रहा है कि अब एक बार फिर ई-फार्मेसी के खिलाफ कानून बनने की सुगबुगाहट तेज हो गई है. ऑनलाइन दवा की दुकानों को बंद करने के पीछे सरकार ने मुख्य कारण बताया है कि इससे दवा मंगाने वाले व्यक्ति का डाटा स्टोर किया जा रहा है. जिसका दुर्पयोग भी हो सकता है. 

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पिछले साल सौंपा गया था विधेयक 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबकि पिछले साल की ऑनलाइन दवा बेचने वाली कंपनियों के खिलाफ विधेयक बनाकर मंत्रालय को सौंपा गया था. जिस पर कार्यवाही की तैयारी थी. लेकिन इसी बीच आचार संहिता लग गई. जिसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया. बताया जा रहा है कि चुनाव के बाद ऑनलाइन फार्मेंसी पर शिकंजा कसने की पूरी तैयारी सरकार की है. आपको बता दें कि ई-फार्मेसी को नियंत्रण में लाने के लिए नए कानून पर भी चुनाव बाद फैसला होने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है. इसलिए डिजिटली चलने वाली दवाओं को बंद किया ही जाना चाहिए. ऐसा विधेयक सौंपा गया था. ताकि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ होना बंद हो जाए. 

गलत तरीके से पैसे की वसूली
चर्चा के दौरान इस बात पर भी जोर दिया गया कि जहां ऑनलाइन दवा कंपनियों से व्यक्ति की निजी जानकारी स्टोर की जा रही है. वहीं ग्राहक से अनाब-सनाब पैसा भी वसूला जा रहा है. यही नहीं बिना चिकित्सक की पर्ची के खरीदी गई दवाएं स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक साबित हो रही है. देश में लाखों लोगों की सेहत पर भी इसका बुरा असर देखने को मिला है. एक सर्वे के मुताबिक अबोर्शन की ऑनलाइन दवाएं महिलाओं को कम उम्र में ही बांझपन की समस्या से जूझ रही हैं. इसका कारण भी ऑनलाइन दवा मार्केट ही है..

डाटा चोरी होने का बड़ा खतरा 
सरकार ने माना है कि ऑनलाइन दवा बेचने वाली कंपनियां रोगी का डाटा स्टोर करती हैं. पिछले साल ऐसी 20 ई-फॅार्मेसी कंपनियों को सरकार ने नोटिस भी भेजा था.  सरकार द न्यू ड्रग्स मेडिकल डिवाइसेज एंड कॉस्मेटिक्स बिल 2023 को लाने की तैयारी कर रही है. साथ ही पुराने बिल को बदलने की योजना बनाई जा रही है. हालांकि अभी सरकार की ओर  से अधिकारिक बयान तो जारी नहीं किया गया है. लेकिन बिल को लेकर चर्चा जरूर चल रही है. बताया जा रहा है कि बहुत जल्द अधिकारिक सर्कुलर भी जारी कर दिया जाएगा.