logo-image

लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों को मानने होंगे ये नए नियम, उत्तराखंड में UCC के बाद होंगे बड़े बदलाव

लिव इन रिलेशनशिप में पुरुष पार्टनर को बच्चे के भरण पोषण की जिम्मेदारी भी संभालनी होगी और संपत्ति में अधिकार देना होगा. यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा. यूनीफॉर्म सिविल कोड बीजेपी सरकार का चुनावी एजेंडा है.

Updated on: 06 Feb 2024, 05:34 PM

नई दिल्ली:

उत्तराखंड विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक को पेश कर दिया गया है. मंगलवार का दिन उत्तराखंड विधानसभा के लिए ऐतिहासिक बन गया है. उत्तराखंड विधानसभा देश की पहली विधानसभा बन गई है, जहां समान नागरिक संहिता विधेयक पर चर्चा हो रही है. उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड की तर्ज पर कई अन्य प्रदेशों में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाता देखा जा सकता है. उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार इस मामले में रिकॉर्ड बनाने में सफल हो गई है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से धार्मिक आधार पर मिलने वाली स्वतंत्रता लोगों से छिन जाएगी. भारतीय कानून के प्रावधन सभी वर्गों पर एक समान लागू होंगे.

लिव इन रिलेशनशिप में पुरुष पार्टनर को बच्चे के भरण पोषण की जिम्मेदारी भी संभालनी होगी और संपत्ति में अधिकार देना होगा. यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा. यूनीफॉर्म सिविल कोड बीजेपी सरकार का चुनावी एजेंडा है.

यह भी पढ़ें: Uttarakhand UCC Bill: उत्तराखंड में पास हुआ UCC बिल, देश के पहले राज्य में लागू होगा समान नागरिक संहिता कानून

पुरुष पार्टनर पर बच्चों को अधिकार जमाने का हक

 नए कानून में लिव इन रिलेशनशिप को जायज ठहराने के लिए प्रावधान किए गए हैं. विधेयक कानून का रूप ले लेने के बाद से यहां पर शादी, तलाक, उत्तराधिकार, लिव इन रिलेशनशिप जैसे मसलों पर सभी धर्मों के लिए नियम एक समान होंगे. यूसीसी में लिव इन रिलेशन से जन्म लेनेवाले बच्चों को भी अपना अधिकार जताने का हक होगा. यानी बच्चा पुरुष पार्टनर की संपत्ति में हकदार जता सकता है. इतना ही नहीं महिला को पुरुष पार्टनर धोखा नहीं दे सकता है. महिला पार्टनर पुरुष से भरण-पोषण की मांग के लिए अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकती है.

चर्चा के बाद कानून की शक्ल लेगा विधेयक

192 पन्नों का यूसीसी विधेयक चार हिस्सों में बंटा हुआ है. यूसीसी विधेयक पर सदन में चर्चा की जाएगी. राज्यपाल की मंजूरी के बाद विधेयक कानून का रूप ले लेगा. बता दें कि बीजेपी ने अपने चुनावी एजेंडे में समान कानून संहिता लागू करने की घोषणा की है. इसी कड़ी में उत्तराखंड में पार्टी ने सबसे पहले इसे लागू करने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री धामी ने आज इसे चर्चा के लिए विधानसभा के पटल पर रखा है. चर्चा के बाद यह राज्यपाल के पास जाएगा जिसके बाद ये विधेयक कानून की शक्ल ले लेगा.