बीजेपी नेता केएस ईश्वरप्पा की मुश्किलें बड़ी, संतोष पाटिल आत्महत्या मामले में क्लीन चिट के खिलाफ याचिका
12 अप्रैल को उडुपी के एक होटल कमरे में बेलगावी के ठेकदर संतोष पाटिल का शव मिला था और कमरे से एक जहर की बोतल भी बरामद हुवी थी.
नई दिल्ली:
कर्नाटक के वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व आरडीपीआर मंत्री के. एस. ईश्वरप्पा की मुश्किलें फिर से बढ़ती नजर आ रही है.ठेकेदार संतोष पाटिल आत्महत्या मामले को लेकर, संतोष पाटिल के रिश्तेदार प्रशांत पाटिल ने बेंगलुरु में स्पेशल पीपल्स रिप्रेजेंटेटिव कोर्ट में एक याचिका दायर की है और कहा है कि वो उडुपी पुलिस के इस मामले में ईश्वरप्पा को क्लीन चिट देने से संतुष्ट नहीं है. प्रशांत पाटिल के मुताबिक उन्हें लगता है की राजनीतिक दबाव के तहत इस मामले बी-रिपोर्ट दर्ज की गई है लिहाजा इस मामले की जांच किसी दूसरी जांच एजेंसी से कराई जाए.
दरअसल, 20 जुलाई को ठेकेदार संतोष पाटिल की आत्महत्या मामले की जांच कर रही उडुपी पुलिस ने अदालत में ईश्वरप्पा को लेकर इस मामले में बी रिपोर्ट दाखिल की थी. पुलिस ने कहा था की ईश्वरप्पा पर आत्महत्या के लिए उकसाने के जो आरोप लगाए गए थे, इसको लेकर पुलिस को कोई सबूत नहीं मिले है, जिसे यह साबित होसाके की ईश्वरप्पा की वजह से संतोष पाटिल ने आत्महत्या की थी.इस मामले में क्लीन चिट मिलने के बाद ईश्वरप्पा ने घर पर मिठाई बांटी थी और कहा थी उन्हे यकीन था की पुलिस उनको क्लीन चिट देगी क्योंकि वो निर्दोष थे.
दरअसल, 12 अप्रैल को उडुपी के एक होटल कमरे में बेलगावी के ठेकदर संतोष पाटिल का शव मिला था और कमरे से एक जहर की बोतल भी बरामद हुवी थी.संतोष पाटिल ने इसे कुछ दिन पहले के. एस. ईश्वरप्पा पर आरोप लगाए थे की ईश्वरप्पा के कहने पर उनके लोग उनसे एक बिल का पेमेंट करने के एवज में 40 % कमिशन मांग रहे है. संतोष के मुताबिक जब ईश्वरप्पा कर्नाटका के आरडीपीआर मंत्री थे तो उनके कहने पर उन्होंने ने बेलगावी जिले में 2021 में 4 करोड़ रूपे की लागत से सड़क निर्माण का काम किया था लेकिन इस काम का पैसा आरडीपीआर विभाग नही दे रहा है और बिल पास करने के एवज में ईश्वरप्पा के कहने पर उनसे 40% कमिशन मांग रहे है.
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संतोष की मौत के बाद, उनके परिवारवालों ने के एस ईश्वरप्पवा के खिलाफ करवाई की मांग की. विपक्ष ने भी बीजेपी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, मामले ने जब तूल पकड़ा तो उडुपी पुलिस ने 13 अप्रैल को ईश्वरप्पा के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया, जिसके बाद बीजेपी दबाव में आई और 15 अप्रैल को ईश्वरप्पा ने आरडीपीआर मंत्री पद से इतोफा दिया था.
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