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Jharkhand News: झारखंड और बंगाल में फिर गरमाने लगा सीमा विवाद, फॉरेस्ट रेंजर्स कर रहे हैं ये दावा

झारखंड और बंगाल के वन विभाग के बीच सीमा विवाद एक बार फिर गरमाने लगा है. जहां एक तरफ बोकारो के सेवती घाटी के ग्रामीण यहां की जमीन को झारखंड का बता रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर बंगाल के फॉरेस्ट रेंजर्स इस जमीन पर अपना दावा ठोक रहे हैं.

Updated on: 10 May 2023, 07:13 PM

highlights

  • फिर गरमाने लगा सीमा विवाद
  • ग्रामीण काफी नाराज 
  • सेवती घाटी में जमीन को लेकर विवाद

Bokaro:

झारखंड और बंगाल के वन विभाग के बीच सीमा विवाद एक बार फिर गरमाने लगा है. जहां एक तरफ बोकारो के सेवती घाटी के ग्रामीण यहां की जमीन को झारखंड का बता रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर बंगाल के फॉरेस्ट रेंजर्स इस जमीन पर अपना दावा ठोक रहे हैं. झारखंड और बंगाल के वन विभाग के बीच सीमा विवाद सालों से जारी है और आज तक इस विवाद को खत्म नहीं किया जा सका है. अब एक बार फिर बोकारो के कसमार प्रखंड के सेवती घाटी में झारखंड और बंगाल के वन विभागों में सीमा को लेकर विवाद के हालात बनते जा रहे हैं. जिसके चलते लगातार तीन दिनों से जमीन की मापी कराई जा रही है, लेकिन अभी तक इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है.

किसकी है जमीन?

दरअसल बंगाल वन विभाग ने जिस जगह पर अपना बोर्ड लगाया है. उसे झारखंड का हिस्सा बताया जा रहा है. झारखंड और बंगाल के वनकर्मियों ने अपने-अपने अमीन के साथ घाटी को मापी की है, लेकिन मापी के बाद भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है. ग्रामीणों की मानें तो घाटी पर बोकारो वन प्रमंडल का इलाका है और जहां पर सड़क निर्माण कार्य खत्म हुआ है वहां पुलिया ही झारखंड और बंगाल का बॉर्डर है, लेकिन बंगाल के झालदा इलाके के रेंजर्स का कहना है कि झरने से 200 फीट अंदर बंगाल फॉरेस्ट की जमीन है.

ग्रामीण काफी नाराज 

यानी एक तरफ जहां ग्रामीण इस इलाके को झारखंड का बता रहे हैं तो दूसरी ओर बंगाल के फॉरेस्ट रेंजर्स इस जमीन पर अपना दावा ठोक रहे हैं. जिससे ग्रामीण काफी नाराज हैं. उनका कहना है कि ये इलाका उनकी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ा हुआ है और झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन स्थल घोषित कर रखा है. ऐसे में वो किसी कीमत पर अपनी जमीन बंगाल को नहीं दे सकते.

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अंतर्राजीय सीमा विवाद

जमीन सीमा विवाद अब बोकारो का विवाद नहीं रह गया है बल्कि ये झारखंड और बंगाल के बीच अंतर्राजीय सीमा विवाद बन गया है. इलाके के लोगों की मानें तो उनके पूर्वज सेवाती झरने को ही बॉर्डर मानते हैं. जहां बंगाल और झारखंड के लोग टुसु विसर्जन करने के लिए आते थे, लेकिन अब उनके इलाके पर बंगाल के वन कर्मचारी दावा कर रहे हैं जो सरासर गलत है.

झारखंड और बंगाल के बीच सेवती घाटी में जमीन को लेकर विवाद नया नहीं है. जरूरत है कि दोनों ही राज्यों के अधिकारियों की निगरानी में जमीन की मापी कराई जाए ताकि सालों से चलने वाले इस विवाद को खत्म किया जा सके.

रिपोर्ट : संजीव कुमार