Jammu Kashmir: इस मंदिर में दिवाली पर 75 साल बाद लौटी रोनक, आजादी के बाद पहली बार मनाया गया दीपोत्सव
Diwali Celebration 2023: देश-विदेश में रविवार को दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान जम्मू-कश्मीर के एक मंदिर में आजादी के बाद पहली बार दिवाली का जश्न मनाया गया.
highlights
- जम्मू-कश्मीर के शारदा मंदिर में मनाई गई दिवाली
- 75 साल बाद मंदिर में मनाया गया दीपोत्सव
- 1947 में आखिरी बार यहां मनाई गई थी दिवाली
New Delhi:
Diwali Celebration 2023: देशभर में रविवार को धूमधाम से दिवाली का त्योहार मनाया गया. इस बार दिवाली मौके पर कई रिकॉर्ड बने. इसमें पहला भगवान की राम की नगर अयोध्या में एक साथ 22 लाख दीप जलाकर दोपोत्सव मनाता तो वहीं जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के एक मंदिर में आजादी के बाद पहली बार दीपों के इस त्योहार को मनाया गया. दिवाली के मौके पर आसमान रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगाने लगा. 75 साल में ये पहला मौका था जब कुपवाड़ा के मंदिर को दिपोत्सव के लिए सजाया गया.
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शारदा मंदिर में 75 साल बाद मनाई गई दिवाली
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के टीटवाल में शारदा मंदिर स्थित है. ये मंदिर एलओसी से सटा हुआ है. इस मंदिर की देखभाल 'सेव शारदा कमेटी' के द्वारा की जाती है. कमेटी के फाउंडर और प्रमुख रविंद्र पंडिता के मुताबिक, यहां 75 साल में पहली बार दिवाली पर पूजा की जा रही है. इस बात पर उन्होंने खुशी जताई. इस दौरान मंदिर में 104 विजय शक्ति ब्रिगेड के कमांडर कुमार दास और सेव शारदा कमेटी के प्रमुख रविंद्र पंडिता भी मौजूद रहे. इसके साथ ही बड़ी संख्या में त्रिभोनी गांव के लोग और सिख भी इस समारोह में शामिल होने पहुंचे. इस दौरान मंदिर में सत्यनारायण पूजा की गई और लोगों को मिठाइयां बांटी गईं.
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आखिरी बार 1947 में मनाई गई थी दिवाली
बता दें कि इस मंदिर में आखिरी बार साल 1947 में दिवाली का त्योहार मनाया गया था. देश के बंटवारे से पहले यहां मंदिर और गुरुद्वारा मौजूद थे. 1947 में जब देश आजाद हुआ तो कबाइलियों ने मंदिर और गुरुद्वारे पर हमला कर दिया. इस दौरान उन्होंने मंदिर और गुरुद्वारा में आग लगा दी. इस घटना के बाद इस मंदिर में कभी भी दिवाली नहीं मनाई गई. लेकिन 2023 में ये मंदिर दिवाली के दिन एक बार फिर से रोशन हो गया. 75 साल बाद मंदिर में दिवाली मनाने के लिए सैकड़ों लोग जुटे.
#WATCH | J&K | Prayers on #Diwali and celebrations
— ANI (@ANI) November 12, 2023
held at Sharda Temple in Teetwal, Kupwara along the LoC today. Ravinder Pandita, Head & founder of Save Sharda Committee says that this is happening for the first time in 75 years. pic.twitter.com/92z9H0CrsN
किशनगंगा नदी के पास है शारदा मंदिर
गौरतलब है कि शारदापीठ मां सरस्वती का प्राचीन मंदिर है, जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में शारदा के निकट किशनगंगा नदी (नीलम नदी) के किनारे पर स्थित है. इस मंदिर पर भारत का अधिकार है. इस मंदिर के आसपास का इलाका काशी खूबसूरत है. बता दें कि शारदा पीठ मुजफ्फराबाद से करीब 140 किमी और कुपवाड़ा से करीब 30 किमी की दूरी पर स्थिर है.
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कैसे हुआ मंदिर का जीर्णोद्धार
बता दें साल 2021 के दिसंबर महीने में इस मंदिर की भूमि पर पारंपरिक रूप से पूजा अर्चना की गई. मंदिर को जीर्णोद्धार के लिए सेव शारदा समिति ने मंदिर निर्माण समिति का गठन किया, इस समित में तीन स्थानीय मुस्लिम, एक सिख और कश्मीरी पंडित को शामिल किया गया. उसके बाद उत्तरी कश्मीर के टीटवाल गांव में 28 मार्च को माता शारदा मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया. यहां मंदिर के साथ गुरुद्वारे और मस्जिद का भी निर्माण किया गया है. ऐसा कर सेव शारदा कमेटी भाईचारे की एक मिसाल कायम करना चाहती है.
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