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पवन सिंह करेंगे कुशवाहा का 'गेम' खराब, जानिए काराकाट का जातीय समीकरण

पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा भी काराकाट से चुनाव लड़ने वाले हैं. एनडीए गठबंधन में कुशवाहा को सिर्फ एक ही सीट दी गई है और अब इस सीट पर कुशवाहा और पवन सिंह के बीच मुकाबला देखा जाएगा.

Updated on: 11 Apr 2024, 10:53 AM

highlights

  • पवन सिंह करेंगे कुशवाहा का 'गेम' खराब
  • काराकाट सीट पर पवन सिंह और कुशवाहा के बीच मुकाबला
  • जानिए क्या है काराकाट का जातीय समीकरण? 

Rohtas:

बिहार का काराकाट लोकसभा क्षेत्र काफी चर्चा में आ गया है और इसकी वजह यह है कि भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार पवन सिंह ने इस सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. पवन  सिंह ने इसकी जानकारी अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल से दी और लिखा कि “माता गुरुतरा भूमेरू” अर्थात माता इस भूमि से कहीं अधिक भारी होती हैं और मैंने अपनी माँ से वादा किया था की मैं इस बार चुनाव लड़ूँगा । मैंने निश्चय किया है कि मैं 2024 का लोकसभा चुनाव काराकाट,बिहार से लड़ूँगा. जय माता दी. पवन सिंह के इस ट्वीट के बाद काराकाट हॉट सीट बन चुकी है. भोजपुरी इलाके वाले क्षेत्र में पवन सिंह को पावर स्टार भी कहा जाता है. 

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पवन सिंह करेंगे कुशवाहा का 'गेम' खराब

वहीं, एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोक मोर्चा को यह सीट दी गई है और पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा भी काराकाट से चुनाव लड़ने वाले हैं. एनडीए गठबंधन में कुशवाहा को सिर्फ एक ही सीट दी गई है और अब इस सीट पर कुशवाहा और पवन सिंह के बीच मुकाबला देखा जाएगा. इनके अलावा माले के राजाराम सिंह यहां से आईएनडीआईए गठबंधन के उम्मीदवार बनाए गए हैं. पिछले तीन लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस सीट से महाबली सिंह कुशवाहा और उपेंद्र कुशवाहा ने जीत अपने नाम किया. यहां से तीन बार से कुशवाहा जाति के ही नेता सांसद बने हैं. वहीं, पवन सिंह के काराकाट से चुनाव लड़ने से क्या चुनावी परिणाम बदल जाएगा? काराकाट से तीन बार लोकसभा का चुनाव हो चुका है और अब चौथी बार लोकसभा चुनाव होने जा रहा है. इस सीट से महागठबंधन कभी भी जीत नहीं पाई है. उपेंद्र कुशवाहा की बात करें तो इस सीट से जीतने के बाद ही उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया था.

काराकाट का जातीय समीकरण? 

काराकाट सीट से जातीय समीकरण की बात करें तो इस बार 18 लाख 72 हजार से अधिक मतदाता वोट डालेंगे. यह क्षेत्र यादव और कुशवाहा बहुल है. वहीं, यहां सवर्ण और मुस्लिम वोटर्स भी काफी हैं. दलित-महादलित वोटर्स भी चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं और अति पिछड़ा में मल्लाह वोट भी काफी है.