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मिशन 2024: 'बिहार के चित्तौड़गढ़' औरंगाबाद पर राजपूतों को मिलती रही है जीत, दलबदलुओं का रहा है बोल-बाला, जानिए-2024 के लिए क्या कहते हैं आंकड़े?

बिहार का औरंगाबाद लोकसभा सीट जो कि बिहार के चित्तौड़गढ़ के नाम से भी जाना जाता है. इस सीट पर राजपूतों के कब्जा रहा है. यहां 1952 से लेकर 2019 तक के लोकसभा चुनाव में सिर्फ राजपूत नेता को ही जीत मिली है.

Updated on: 18 Sep 2023, 08:43 PM

highlights

औरंगाबाद लोकसभा सीट का लेखा-जोखा

हर बार राजपूत प्रत्याशी को मिली है जीत

दलबदलुओं का रहा है बोलबाला

लगभग हर चर्चित राजनीतिक पार्टी को मिला संसद में प्रतिनिधित्व करने का मौका

Aurangabad:

बिहार का औरंगाबाद लोकसभा सीट जो कि बिहार के चित्तौड़गढ़ के नाम से भी जाना जाता है. इस सीट पर राजपूतों के कब्जा रहा है. यहां 1952 से लेकर 2019 तक के लोकसभा चुनाव में सिर्फ राजपूत नेता को ही जीत मिली है. ये सूबे के पूर्व सीएम सत्येंद्र नारायण सिंह का भी क्षेत्र है. सत्येंद्र नारायण सिंह 1952 से 1984 के बीच विभिन्न दलों के चुनाव निशान पर चुनाव लड़ते हुए 7  बार चटुनाव जीते थे. इस सीट पर 1999 से 1996 तक जनता दल का परचम लहराता रहा और 1998 में समता पार्टी से सुशील कुमार सिंह चुनाव जीते थे. 2004 में हुए आम चुनाव में यहां कांग्रेस को जीत मिली और निखिल कुमार संसद सदस्य बने. एक बार फिर से 2009 में सुशील कुमार सिंह ने JDU के चुनाव निशान पर चुनाव लड़ा और जीतककर संसद पहुंचे.

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2009 में JDU की जीत

वर्ष 2009 के आम चुनाव में JDU ने मौजूदा बीजेपी सांसद सुशील कुमार सिंह को मैदान में उतारा. सुशील कुमार सिंह ने अपने मुख्य प्रतिद्वंदी व RJD प्रत्याशी शकील अहमद खान को भारी मतों से हराया.

सुशील कुमार सिंह को 2,60,153 वोट मिले थे जबकि शकील अहमद को 1,88,095 वोट मिले थे. वहीं 54,581 वोट के साथ कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही जबकि 45,173 वोट के साथ बीएसपी चौथे नंबर पर रही.

सुशील कुमार सिंह, BJP सांसद (फाइल फोटो)

2014 में BJP को मिली जीत

2014 के आम चुनाव में एक बार फिर से सुशील कुमार सिंह संसद पहुंचे लेकिन इस बार उन्होंने बीजेपी के चुनाव निशान पर चुनाव लड़ा. 2014 में देश में मोदी लहर थी लेकिन सुशील कुमार सिंह के सामने उनकी पूर्व पार्टी जेडीयू और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस सीना ताने खड़ी थी. मोदी लहर में कांग्रेस और जेडीयू का भी बुरा ही हुआ और सुशील कुमार सिंह को जीत मिली.

2014 के आम चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी सुशील कुमार सिंह को 3,07,941 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस के निखिल कुमार 2,41,594 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि सुशील कुमार सिंह की पूर्व पार्टी जेडीयू 1,36,137 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही.

2019 में फिर खिला कमल

2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से औरंगाबाद लोकसभा सीट पर कमल खिला. सुशील कुमार सिंह 431,541 वोट पाकर पहले स्थान पर रहे जबकि वहीं महागठबंधन की तरफ से HAM को मौका मिला और HAM प्रत्याशी उपेंद्र प्रसाद 3,58,934 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे. बीएसपी के नरेश यादव 34,033 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. 


औरंगाबाद में विधासभा सीटों का हाल

औरंगाबाद में कुल 6 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से कुटुंबा और औरंगाबाद सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. रफीगंज और गुरुआ विधानसभा सीट पर आरजेडी को जीत मिली है. जबकि, 2 सीट पर HAM को जीत मिली थी. कुल मिलाकर राजपूत वोटों वाले औरंगाबाद सीट पर राजपूत प्रत्याशी की ही विजय अबतक होती रही है. 

औरंगाबाद लोकसभा सीट का जातीय समीकरण

-राजपूतों की आबादी सर्वाधिक है. लगभग 2 लाख की संख्या है.
-यादव की संख्या डेढ़ लाख से अधिक है.
-मुस्लिमों की आबादी 1.25 लाख है. 
-कुशवाहा जाति के लोगों की संख्या 1.25 लाख
-भूमिहार की संख्या 1 लाख
-एससी की जनसंख्या 2 लाख 75 हजार है


मतदाताओं की संख्या (2019 के मुताबिक)

-कुल मतदाताओं की संख्या- 17,37,831
-कुल पुरुष मतदाता- 9,15,930 
-कुल महिला मतदाता-8,21,793