पसंद का कॉलेज नहीं मिले तो ना हो परेशान, इस स्टोरी से मिलेगी प्रेरणा
धीरे-धीरे सभी राज्यों की ओर से भी परिणाम प्रकाशित किया जा रहा है. बच्चों में नंबर्स को लेकर एक अलग ही क्रेज आ गया है.
highlights
- पसंद का कॉलेज नहीं मिले तो ना हो परेशान
- इस दिग्गज के पास नामाकंन के लिए पैसा नहीं था
- जब दोस्तों से मिलने पहुंचे एन आर नारायणमूर्ति
Patna:
दसवीं और बारहवीं का परिणाम आ चुका है. धीरे-धीरे सभी राज्यों की ओर से भी परिणाम प्रकाशित किया जा रहा है. बच्चों में नंबर्स को लेकर एक अलग ही क्रेज आ गया है. किसी को 90 फीसदी अंक प्राप्त हुआ है, तो किसी को 95 फीसदी अंक प्राप्त हुआ है, तो किसी को 50 फीसदी. कुछ बच्चे असफल भी हुए हैं, लेकिन कुछ ऐसे बच्चे भी हैं जो 90 फीसदी से ज्यादा नंबर लाने के बावजूद भी पैसे के अभाव में अच्छे स्कूल और क़ॉलेज में नामांकन पाने में सक्षम नहीं हैं. ये जरूरी नहीं कि आप बड़े संस्थान में ही पढ़कर अपने सपनों को साकार करेंगे. चलिए आज आपको बताते हैं, ऐसे शख्स के बारे में जो पैसे के अभाव में IIT प्रवेश परीक्षा पास होने के बावजूद बड़े संस्थान में नामाकंन नहीं कर पाए थे, लेकिन आज वे जिस मुकाम पर खड़े हैं, उस मुकाम पर पहुंचने का हर कोई सपना देखता है.
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इस दिग्गज के पास नामाकंन के लिए पैसा नहीं था
पूरी दुनिया में इंफोसिस को दिग्गज आईटी कंपनी बनाने वाले एन आर नारायणमूर्ति के पास IIT की प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद बड़े संस्थानों में नामांकन लेने के लिए पैसे नहीं थे. उनके पिताजी शिक्षक थे. जब मूर्ति ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में जाने के लिए अपने पिताजी से बात की तो उनके पिताजी ने हाथ खड़े कर दिए. उन्होंने कहा मुझ पर पूरे परिवार का दायित्व है. इसलिए आगे पढ़ाने में मैं असमर्थ हूं.
जब दोस्तों से मिलने पहुंचे एन आर नारायणमूर्ति
जब नारायणमूर्ति अपने दोस्तों के पास गए तो उनके दोस्त आईआईटी में एडमिशन की तैयारी में थे. एक दोस्त ने नाराय़ण से कहा, क्यों नाराय़ण तुम्हें नहीं जाना है, तो नाराय़ण ने मुस्कुराते हुए कहा कि अभी नहीं. फिर नाराय़ण अपने दोस्तों को रेलवे स्टेशन भी छोड़ने आए. जब ट्रेन खुली तो दूर-दूर तक सिर्फ उनकी निगाहें उसी ट्रेन पर थी, जिस ट्रेन में सवार होकर उनके दोस्त जा रहे थे.
हिम्मत नहीं हारे नाराय़ण
घर आकर एक गहरी सोच में नाराय़ण बैठ गए. पिता से अपने मेधावी बेटे को निराश देखा नहीं गया. उनके पिता ने कहा कि कोई संस्थान नहीं, बल्कि सिर्फ तुम अपनी जिंदगी में बदलाव ला सकते हो. अगर तुम होशियार हो तो किसी भी कॉलेज में जा सकते हो और सार्थक काम कर सकते हैं. पिता की यह बात उनके दिल में उतर गई और परिणाम सबके सामने है.
स्क्रिप्ट- पिन्टू कुमार झा
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