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क्या है देश का पहला ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल, कैसे करता है काम, भारत को क्या होगा फायदा

भारत में बना अंडरवाटर व्हीकल काफी किफायती है साथ ही अत्याधुनिक भी. इसे पानी के अंदर खुद से चलने वाली रोबोटिक पनडुब्बी कहा जा सकता है.

Updated on: 28 Jul 2023, 02:10 PM

highlights

  • देश का पहला पहला ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल लॉन्च. 
  • रियल टाइम में होगी समंदर की पहरेदारी.
  • नौसेना और कोस्टगार्ड को मिलेगी मदद.

नई दिल्ली:

Indian Autonomous Underwater Vehicle: भारतीय नौसेना की ताकत में और इजाफा हुआ है. देश की समुद्री सुरक्षा और चौकसी अब पहले से अधिक मजबूत होगी. समुद्री सीमा की निगरानी के लिए इंडियन नेवी के तरकश में एक और तीर शामिल हो गया है. कोलकाता स्थित गार्डेन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने एक ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (Autonomous Underwater Vehicle) बनाया है. इसे पानी के अंदर खुद से चलने वाली रोबोटिक पनडुब्बी कहा जा सकता है. इसकी लंबाई 2.1 मीटर और वजन 50 किलोग्राम है. 

पूरी तरह स्वदेशी है अंडरवाटर व्हीकल

जीआरएसई की तरफ से बताया गया है कि पूरी तरह से स्वदेशी ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल को बंगाल की खाड़ी में उतारा गया है. ये कई अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है. समंदर में दुश्मन की हर हरकत पर ये व्हीकल नजर रखने में पूरी तरह से सझम है. इस अंडरवाटर व्हीकल का इस्तेमाल साइंटिफिक रिसर्च के लिएभी किया जा सकता  है. व्हीकल की खास बात यह है कि ये लगातार तीन घंटे तक समुद्र में गोता लगा सकता है. ये 3 नॉट है यानी 5.56 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से समुद्र में गोता लगा सकता है. इसमें लगे जीपीएस सिस्टम के जरिए इससे संपर्क में रहा जा सकता है.


 
रियल टाइम में होगी समंदर की पहरेदारी 

ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल की मदद से समंदर की निगरानी रियल टाइम में की जा सकेगी. भारत में बना अंडरवाटर व्हीकल काफी  किफायती है साथ ही अत्याधुनिक भी. ये समंदर के अंदर लंबे समय तक खुद-ब-खुद निगरानी कर सकता है. रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए इसमें एडवांस सेंसर्स लगे हैं. व्हीकल में कटिंग एज कैमरे भी लगे हैं साथ ही ये रडार से भी लैस है. इंफ्रारेड टेक्नोलॉजी लगी है जो निगरानी और जासूसी के लिए उपयुक्त है. अभी समंदर की निगरानी या तो जहाजों से होती है या फिर विमानों से. ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल लॉन्च होने के बाद नौसेना, कोस्टगार्ड को काफी मदद मिलेगी और काम भी आसान होगा. इसमें सोनार तकनीक भी लगी है.