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PSLV-C 53 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग, श्रीहरिकोटा से उड़े उपग्रह अपनी कक्षा में स्थापित

भारत अंतरिक्ष विज्ञान में प्रमुख शक्ति बन चुका है. एक साथ दर्जनों उपग्रह वो अंतरिक्ष में भेज सकता है. भारतीय तकनीकी का लोहा पूरा दुनिया मानती है. इस पर आज फिर से मुहर लगी, जब भारत ने श्रीहरिकोटा के ही...

Updated on: 30 Jun 2022, 07:47 PM

highlights

  • पीएसएलवी की 55वीं सफल उड़ान
  • इसरो ने मिशन के पूरा होने की जानकारी दी
  • भारत का सबसे सफल उपग्रह प्रक्षेपक है PSLV

श्रीहरिकोटा/आंध्र प्रदेश:

भारत अंतरिक्ष विज्ञान में प्रमुख शक्ति बन चुका है. एक साथ दर्जनों उपग्रह वो अंतरिक्ष में भेज सकता है. भारतीय तकनीकी का लोहा पूरा दुनिया मानती है. इस पर आज फिर से मुहर लगी, जब भारत ने श्रीहरिकोटा के ही अपने दूसरे लॉन्चिंग पैड से एक साथ 3 उपग्रह अंतरिक्ष में लॉन्च किये. ये तीनों ही उपग्रह तय समय पर अंतरिक्ष में अपनी कक्षा में पहुंच गए. ये तीनों ही उपग्रह विदेशी थे. इसरो ने बताया कि तीनों ही उपग्रह सिंगापुर के थे और अब अपनी निर्धारित कक्षा में पहुंच चुके हैं.

पूरी तरह से सफल रही लॉन्चिंग

इसरो ने बताया कि पीएसएलवी-सी53 तीन विदेशी उपग्रहों को लेकर श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र निकला. इस पीएसएलवी-सी53/डीएसईओ ( PSLV-C53/DS-EO) के साथ दो अन्य सह-यात्री उपग्रह भी थे, जिन्हें इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित दूसरे लॉन्च पैड एसजीएससी-एसएचएआर (SDSC-SHAR) से भेजा गया. यह पीएसएलवी ऑर्बिटल प्रायोगिक मॉड्यूल (पीओईएम) के साथ एक स्थिर प्लेटफॉर्म के रूप में पृथ्वी की परिक्रमा करता है. इसरो ने ट्विटर के माध्यम से बताया कि ये मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया है.

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क्या है पीएसएलवी?

पीएसएलवी भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की ओर से विकसित तीसरी पीढ़ी का उपग्रह है. ये साल 1994 से लगातार उड़ाने भर रहा है. पीएसएलवी ने जून 2017 तक लगातार 39 सफल मिशनों को अंजाम दिया. यही नहीं, पीएसएलवी से ही भारत के दोनों सफल अंतरिक्षयान - वर्ष 2008 में चंद्रयान-1 और मंगलयान को पूरा किया है.