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Chaitra Navratri 4 Day 2024: कौन हैं देवी दुर्गा की चौथी रूप मां कुष्मांडा, जानें इनकी पूरा कहानी

Chaitra Navratri 4 Day 2024: मां कुष्मांडा देवी की पूजा से बुद्धि, विद्या, समृद्धि, मोक्ष, आरोग्य, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है. उनकी कृपा से विद्यार्थियों को परीक्षाओं में सफलता मिलती है और धन-दौलत चाहने वालों को उनकी प्राप्ति होती है.

Updated on: 12 Apr 2024, 11:39 AM

नई दिल्ली:

Chaitra Navratri 4 Day 2024: नवरात्रि के चौथे दिन की देवी हैं मां कुष्मांडा. इनकी पूजा करने से बुद्धि, विद्या, और समृद्धि प्राप्त होती है. ये सृष्टि की आदिदेवी मानी जाती हैं. मां कुष्मांडा को लाल रंग की वस्त्र पहने हुए और सुनहरे सिंहासन पर बैठे हुए दर्शाया जाता है. उनके मुख से तेजस्वी प्रकाश निकलता है, जो पूरे ब्रह्मांड को प्रकाशित करता है. मां कुष्मांडा सर्वशक्तिशाली देवी हैं. उनमें असीम शक्तियां हैं. वे ब्रह्मांड की रचना, पालन और संहार करने वाली देवी हैं. वे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. वे दुष्टों का नाश करती हैं और धर्म की रक्षा करती हैं. उनकी पूजा से बुद्धि, विद्या, समृद्धि, मोक्ष, आरोग्य, और सुख-शांति प्राप्त होती है. विद्यार्थियों को परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने के लिए मां कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए. जो लोग धन-दौलत चाहते हैं, उन्हें मां कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए. जो लोग मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें मां कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए.

मां कुष्मांडा की कहानी 

मां कुष्मांडा अनादि और अनंत हैं. जब ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं था, केवल अंधकार और शून्य था. तब देवी दुर्गा ने मां कुष्मांडा के रूप में प्रकट होकर ब्रह्मांड की रचना शुरू की. उनकी नाभि से कमल का फूल खिलने लगा, और उस फूल से भगवान ब्रह्मा का जन्म हुआ. भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना शुरू की. मां कुष्मांडा के नाम का अर्थ है "अंडे के समान." कहा जाता है कि मां कुष्मांडा अंडे के समान एक स्वर्णमय मंडप में बैठी थीं. इस मंडप के अंदर ही ब्रह्मांड का निर्माण हुआ. मां कुष्मांडा का स्वरूप अत्यंत भव्य है. मां कुष्मांडा को सृष्टि की आदिदेवी कहा जाता है. मां कुष्मांडा आठ भुजाओं वाली देवी हैं. उनके हाथों में त्रिशूल, चक्र, धनुष, बाण, कमल, गदा, शंख, और चक्र हैं. वे सिंहासन पर विराजमान हैं और उनके चारों ओर सात सूर्य प्रकाशित हो रहे हैं. मां कुष्मांडा लाल रंग की वस्त्र धारण करती हैं और उनके मुख से तेजस्वी प्रकाश निकलता है. 

मां कुष्मांडा का महत्व

मां कुष्मांडा ज्ञान और शक्ति की देवी हैं. उनकी पूजा करने से आत्मबल, बुद्धि, और विद्या प्राप्त होती है. मां कुष्मांडा भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. आप रोग, शत्रु, और भय से मुक्ति चाहते हैं, तो मां कुष्मांडा की पूजा अवश्य करें. 

मां कुष्मांडा की पूजा कैसे करें

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. एक चौकी पर मां कुष्मांडा की प्रतिमा स्थापित करें. मां कुष्मांडा को फूल, फल, मिठाई, और भोग अर्पित करें. मां कुष्मांडा के मंत्रों का जाप करें और उनका ध्यान करें. दीन-दुखियों की मदद करें और दान पुण्य करें. मां कुष्मांडा सभी भक्तों की रक्षा करें और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करें.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)