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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या यमुना एक्सप्रेसवे जेपी एसोसिएट्स का है, 165 किमी हाइवे को बेचने की तैयारी

पैसे जुटाने के लिए जेपी ग्रुप की यमुना एक्सप्रेस वे को बेचने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह साफ किया जाना चाहिये कि करोड़ों रुपये की लागत से बना छह लेन का यमुना एक्सप्रेसवे जेपी समूह का ही है।

Updated on: 24 Oct 2017, 10:42 AM

नई दिल्ली:

पैसे जुटाने के लिए जेपी ग्रुप की यमुना एक्सप्रेस वे को बेचने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह साफ किया जाना चाहिये कि करोड़ों रुपये की लागत से बना छह लेन का यमुना एक्सप्रेसवे जेपी समूह का ही है।

165 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस वे ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ता है। इसे बेचे जाने के खिलाफ आईडीबीआई बैंक ने आपत्ति जताई है।

चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने ये सवाल जेपी एसोशिएट्स से किया। दरअसल पैसा जुटाने के लिये जेपी ग्रुप इस हाइवे को बेचना चाहता है।

जेपी एसोशिएट्स के वकील कपिल सिबल ने बेंच को बताया कि कंपनी ने इस प्रॉपर्टी को बेचने के लिये 2500 करोड़ का प्रस्ताव रखा है।

लेकिन आईडीबीआई बैंक के वकील ने सिब्बल के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा और दावा किया कि उन्हें एक्सप्रेसवे को बेचने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि यह संपत्ति कंपनी की नहीं है।

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने सिबल से पूछा, ‘यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि संपत्ति आपकी (जेपी एसोसिएट्स) है या नहीं।’

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कोर्ट के इस सवाल पर सिब्बल ने कहा कि कंपनी की प्राथमिकता घर खरीदने वाले इन्वेस्टर्स हैं जिन लोगों ने आवासीय योजनाओं में फ्लैट बुक करवाए हैं। कंपनी इन लोगों की सदद करना चाहती है।

उन्होंने कहा कि बेचने से मिलने वाली रकम को प्रोजेक्ट्स को पूरा करने और इनवेस्टर्स को उनके फ्लैट का अधिकार देने में खर्च किया जाएगा।

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