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सुप्रीम कोर्ट का गुजरात के आठ फर्जी मुठभेड़ों की रिपोर्ट गोपनीय रखने से इंकार, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के आठ फर्जी मुठभेड़ों से संबंधित मामलों पर न्यायमूर्ति एच.एस.बेदी समिति की रिपोर्ट की एक प्रति याचिकाकर्ता गीतकार जावेदर अख्तर को देने का निर्देश दिया.

Updated on: 09 Jan 2019, 03:39 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के आठ फर्जी मुठभेड़ों से संबंधित मामलों पर न्यायमूर्ति एच.एस.बेदी समिति की रिपोर्ट की एक प्रति याचिकाकर्ता गीतकार जावेदर अख्तर को देने का निर्देश दिया. इसके साथ ही गोपनीय रखने से भी इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि रिपोर्ट की एक प्रति गुजरात सरकार को भी दी जाए. न्यायमूर्ति बेदी ने आठ फर्जी मुठभेड़ों से जुड़े साक्ष्यों का मूल्यांकन किया है. ये मुठभेड़ें गुजरात में 2002 से 2006 के बीच हुई थीं. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल.नागेश्वर राव व न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने गुजरात सरकार की याचिका खारिज कर दी. गुजरात सरकार ने याचिका में रिपोर्ट को गोपनीय रखे जाने और मीडिया से दूर रखने की बात कही थी.

अदालत के एक सवाल के जवाब में न्यायमूर्ति बेदी ने कहा कि शीर्ष अदालत के जनवरी और फरवरी 2012 के दो आदेशों के संदर्भ में वह अकेले मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष थे, जिसके पास रपट जमा की गई. इस जवाब को स्वीकारते हुए प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा, 'अगर न्यायमूर्ति बेदी को रिपोर्ट देने को अधिकृत किया गया है तो एक राज्य कैसे इस पर आपत्ति कर सकता है.'

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मामले की पिछली सुनवाई में गुजरात सरकार ने रिपोर्ट पर आपत्ति जताई थी. गुजरात सरकार ने कहा था न्यायमूर्ति बेदी ने मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्यों से परामर्श किए बिना इस रिपोर्ट को जमा कर दिया. गुजरात सरकार ने बुधवार को भी सुनवाई में विरोध किया. गुजरात सरकार ने कहा कि रिपोर्ट को याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करना पक्षपात का कारण बन सकता है. यह स्पष्ट करते हुए कि वह रपट को अंतिम मानकर व्यवहार नहीं कर रही है, पीठ ने कहा कि रपट हमारे द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद ही प्रभावी होगी.