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पालघर हत्याकांड: हिन्दू-विरोधी सुनियोजित षड्यंत्र : मिलिंद परांडे

विहिप के केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने आज कहा कि घटना के अनेक चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे है. इनकी जांच व हत्यारों के साथ साथ षड्यंत्रकारियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही आवश्यक है.

Updated on: 23 Apr 2020, 08:37 PM

नई दिल्ली:

विश्व हिन्दू परिषद ने महाराष्ट्र के पालघर ज़िले में पूज्य साधुओं व उनके चालक की अत्यंत दु:खद व निर्मम हत्या की घटना को एक हिन्दू विरोधी सुनियोजित षडयन्त्र बताया है. विहिप के केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने आज कहा कि घटना के अनेक चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे है. इनकी जांच व हत्यारों के साथ साथ षड्यंत्रकारियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही आवश्यक है. उन्होंने पूछा कि लॉक डाउन (Lock Down) के दौरान 14 अप्रैल को गांव - गांव में बच्चे चुराने वाले गैंग की अफवाह किसने फैलाई? 3-4 दिन पहले ही आस-पास के क्षेत्र में मदद की सामग्री बांटने आये एक डॉक्टर तथा पुलिस अधिकारी के ऊपर हमला हुआ था.

यह पता होते हुए भी, इस घटना के समय पर्याप्त पुलिस फोर्स क्यों नहीं भेजी गयी? 16 अप्रैल की रात्री 9 बजे पहली बार पूज्य साधूओं की गाड़ी गाँव में रोकी गयी और उनके साथ मारपीट हुई. गाँव की सरपंच चित्रा चौधरी के समझाने के बाद मारपीट बंद हुई और उन्हें वन विभाग की चौकी में ले ज़ाया गया. सूचना करने पर क़रीब एक घंटे बाद सशस्त्र पुलिस फोर्स आई तो किन्तु वह केवल मूक दर्शक ही रही. म़ोब लिंचिंग रोकने के लिये फायरिंग क्यों नहीं हुई? क्या किसी ने कुछ भी नहीं करने के लिए पुलिस पर दबाव बनाया था? उसके बाद पुन: भारी भीड़ आस पास के गांवों से एकत्र हो गई जिसने दूसरी बार हमला किया और पूज्य साधुओं की नृशंस हत्या हुई.

आखिर लॉक डाउन (Lock Down) होते हुए भी आसपास के गांवों से मध्यरात्रि को इतनी बड़ी संख्या में लोगों को लाठी, पत्थर लेकर किसने बुलाया? पूज्य साधुओं को जान से मारने तथा भीड़ को बहकाने और भड़काने वाले कौन थे? समझाने का प्रयास करने वाली महिला सरपंच को परिवार सहित जान से मारने की धमकी देने वाले कौन है? श्री परांडे ने कहा कि पुलिस ने जो प्राथमिकी लिखी है उसमें साफ साफ लिखा है कि पालघर की घटना पूर्व नियोजित षडयंत्र है. तो फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री गलतफहमी कहकर इस केस के महत्व को क्यों कम करना चाहते है? कहीं पुलिस को संकेत तो नहीं दिया जा रहा है? इतनी वीभत्स घटना के बाद भी तथा-कथित पुरोगामी(लिबरल), वामपंथी विद्वान, खान मार्केट गैंग, अवार्ड वापसी गैंग, बड़बोले फ़िल्मस्टार अब चुप क्यों है? क्या इसलिए कि मरने वाले हिन्दू साधू हैं? ये अनेक प्रश्न हैं, जिनका उत्तर शीघ्रता से मिलना चाहिए.

जो प्रमुख 5 आरोपी हैं वे सभी उस क्षेत्र के प्रमुख वामपंथी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता हैं. वहाँ का विधायक भी कम्युनिस्ट ही है. वामपंथी विचारधारा के राजनीतिक तथा गैर-राजनीतिक संगठनों ने वहां के वनवासी समाज को भड़का कर कुधारणा बना दी है कि तुम लोग जो यहां के मूल निवासी हो, हिन्दू नहीं हो. तुम्हारा भगवान रावण है. राम तो अन्यायी राजा था. वहां के भोले भाले वनवासियों के अंदर सामाजिक विद्रोह पैदा किया गया है और कहा गया है कि जंगल में केवल तुम्हारा राज्य है. इस षड़यंत्र के द्वारा वहां हिंसा भड़काई जा रही है.

विहिप महामंत्री ने कहा कि इस घटना के साथ साथ वनवासियों को भड़काने वाले तथ्यों की भी कड़ी पूछताछ होनी चाहिए. जैसा की गृह मंत्रालय ने संसद में कहा है की संपूर्ण देश में वामपंथी प्रभावित क्षेत्रों में प्रति वर्ष वामपंथी विचारधारा के कारण से 700 से अधिक हिंसात्मक घटनाएँ होती हैं जिनमें सैकड़ों लोगों की जानें जाती हैं. वामपंथी विचारधारा के गैर-राजनीतिक संगठनों ने अनेकों बार पालघर के वैष्णव समाज के हिन्दुओं पर हमले किये हैं. इतनी बड़ी भीड़ के द्वारा आधी रात को पूज्य साधुओं पर जानलेवा हमला पूर्व निर्धारित षड़यंत्र है जो हिन्दू विरोधी मानसिकता से प्रेरित लगता है. विश्व हिन्दू परिषद यह माँग करती है कि महाराष्ट्र शासन इस अपराध की गंभीरता तथा संपूर्ण देश में हुई तीव्र प्रतिक्रिया को समझकर, ज़िम्मेदारी से, पूज्य साधूओं के हत्यारों की गिरफ़्तारी करे तथा उन्हें कड़ी से कड़ी सजा तुरंत मिले, इसके लिए आवश्यक कदम उठाए तथा उपरोक्त सभी तथ्यों की जांच करे.