अनुच्छेद 35ए को बचाने के लिए कश्मीर बंद, क्या है पूरा मामला ?
जम्मू एवं कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 35ए को बचाने के लिए अलगाववादियों की ओर से आहूत बंद के कारण शनिवार को कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र के कुछ हिस्सों में जनजीवन प्रभावित हुआ।
highlights
- अनुच्छेद 35ए 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश से लागू किया गया था
- साल 2014 में एक एनजीओ द्वारा अनुच्छेद 35ए को समाप्त करने की मांग की गई
- इस याचिका पर अगले महीने अंतिम सुनवाई होनी है
नई दिल्ली:
जम्मू एवं कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 35ए को बचाने के लिए अलगाववादियों की ओर से आहूत बंद के कारण शनिवार को कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र के कुछ हिस्सों में जनजीवन प्रभावित हुआ।
बंद के कारण श्रीनगर में दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान, शैक्षणिक संस्थान और सार्वजनिक परिवहन बंद रहे। कश्मीर विश्वविद्यालय और स्कूल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की शनिवार को होने वाली परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गईं।
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अन्य जिला मुख्यालय और घाटी के प्रमुख शहरों में भी बंद की स्थिति रही। घाटी में बारामूला शहर और जम्मू क्षेत्र में बनिहाल शहर के बीच रेल सेवाएं शनिवार को स्थगित रहीं।
खबरों के अनुसार, डोडा, किश्तवाड़ और बनिहाल में भी बंद का असर रहा। श्रीनगर-लेह और श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर भी यातायात सामान्य रहा।
हालांकि, श्रीनगर में सैयद अली शाह गिलानी, मीर वाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक की अध्यक्षता वाले संयुक्त प्रतिरोधी नेतृत्व (जेआरएफ) द्वारा आहूत बंद के बावजूद श्रीनगर प्रशासन ने शनिवार को शहर में कोई प्रतिबंध नहीं लगाया।
क्या है अनुच्छेद 35ए?
जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा को विशेष अधिकार प्रदान करने वाला अनुच्छेद 35ए 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश से लागू किया गया था।
यह अनुच्छेद राज्य विधानसभा को जम्मू एवं कश्मीर में स्थाई निवास सहित अन्य विशिष्ट फैसलों का अधिकार देता है। आर्टिकल 370 के तहत यह अधिकार दिया गया है।
क्या है मामला?
साल 2014 में एक एनजीओ ने अर्जी दाखिल कर अनुच्छेद 35ए को समाप्त करने की मांग कर सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। यह केस काफी समय से सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग थी। लेकिन इस याचिका पर अगले महीने अंतिम सुनवाई होनी है।
इसकी सुनवाई तीन न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ कर रही है। जम्मू एवं कश्मीर राज्य सरकार अनुच्छेद 35ए आर्टिकल को हटाए जाने के खिलाफ है।
सीएम महबूबा मुफ्ती ने पिछले महीने ही अनुच्छेद 35ए आर्टिकल के खिलाफ विवादित बयान दिया था। उन्होंने ने कहा था,' अगर राज्य के कानूनों से छेड़छाड़ हुई तो कश्मीर में तिरंगा थामने वाला कोई नहीं होगा।' उनके इस बयान का देशभर में लोगों ने काफी विरोध किया गया था।
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