यरुशलम: यहूदी, मुस्लिम और इसाई तीनों की जुड़ी हैं मान्यताएं, बाहरी आक्रमण का शिकार रहा है ये शहर
यरुशलम अपने 5000 साल से भी ज्यादा पुराने इतिहास के दौरान कई बार आक्रमण का शिकार हुआ है और करीब 20 बार इसपर विदेशी शासकों का कब्जा रहा है।
नई दिल्ली:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने तमाम विरोधों के बावजूद भी इज़राइल की राजधानी के तौर पर यरुशलम को मान्यता दी है। ट्रंप के इस ऐलान पर अरब देशों समेत विश्व के कई राष्ट्रों ने ट्रंप प्रशासन के इस कदम का विरोध किया है।
हालांकि इज़रायल की राजधानी तेल अवीव है, लेकिन उसने हमेशा अनाधिकारिक तौर पर यरुशलम को ही अपनी राजधानी मानता रहा है। पिछले 70 साल से इसके एक हिस्से पर इज़रायल का तो दूसरे हिस्से पर फिलिस्तीन का कब्जा है।
यरुशलम अपने 5000 साल से भी ज्यादा पुराने इतिहास के दौरान कई बार आक्रमण का शिकार हुआ है और करीब 20 बार इसपर विदेशी शासकों का कब्जा रहा है।
इस विवादित फैसले के बारे में ट्रंप ने अपने 2016 राष्ट्रपति चुनाव के दौरान वादा भी किया था, जिसका उनके समर्थकों ने स्वागत किया था।
आइए जानते हैं कि यरुशलम को लेकर इतना विवाद क्यों है-
ट्रंप से पहले के अमेरिकी राष्ट्रपतियों का रुख
अमेरिका भले ही इजरायल को समर्थन देता रहा हो। लेकिन उसने कभी भी यरुशलम में दूतावास स्थापित करने की कोशिश नहीं की। 1995 में अमेरिका ने दूतावास को तेल अवीव से यरूशलम ले जाने के बारे में कानून पास किया। लेकिन दूतावास तेल अवीव में ही रहा।
विश्व के तीन धर्मों की मान्यताएं यहां से जुड़ीं
भूमध्य और डेड सी से घिरे इस शहर को यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों ही धर्म के लोग पवित्र मानते हैं। यहां के टेंपल माउंट जो यहूदियों का सबसे पवित्र स्थान है।
यहां स्थित अल-अक्सा मस्जिद को मुसलमान पवित्र मानते हैं। उनका मानना है कि अल-अक्सा मस्जिद ही वह जगह है जहां से पैगंबर मोहम्मद जन्नत गए थे।
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इसके साथ ही कुछ ईसाइयों की मान्यता है कि यरुशलम में ही ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। यहां का सपुखर चर्च ईसाई समुदाय के लिये पवित्र है।
इज़रायल और फिलिस्तीन का दावा
1948 में इज़रायल स्टेट की स्थापना हुई और यरुशलम को इज़रायल और जॉर्डन में विभाजित किया गया।
1967 में इज़रायल ने पूर्वी यरुशलम पर 6 दिनों तक चली लड़ाई के बाद कब्ज़ा कर लिया और वहां रह रहे फिलिस्तीनी नागरिकों को नागरिकता नहीं दी है।
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इज़रायल और फिलिस्तीन दोनों ही इसे अपनी राजधानी मानते हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र और कई देश यरुशलम पर इज़रायल के दावे को मान्यता नहीं देते हैं।
तेल अवीव रही है इजरायल की राजधानी
1980 में इजरायल ने यरुशलम को आधिकारिक तौर पर अपनी राजधानी बनाने की घोषणा की थी लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पूर्वी यरुशलम पर इजरायल के कब्जे की निंदा की। यरुशलम में किसी भी देश का दूतावास नहीं है और जो देश इजरायल को मान्यता देते हैं उनके दूतावास तेल अवीव में हैं।
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