जेडीयू ने मनमोहन सिंह के दो सचिवों के खिलाफ की कार्रवाई की मांग
जनता दल यनाइटेड (जेडीयू) ने 2 जी स्पेक्ट्रम नीलामी मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कठघरे में खड़ा करने वाले दोनों सचिवों के खिलाफ कार्रवीई की मांग की है।
नई दिल्ली:
जनता दल यनाइटेड (जेडीयू) ने 2 जी स्पेक्ट्रम नीलामी मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कठघरे में खड़ा करने वाले दोनों सचिवों के खिलाफ कार्रवीई की मांग की है।
2 जी घोटाला मामले में आए फैसले के दौरान स्पेशल जज ओपी सैनी ने कहा था कि इस मामले में ए राजा ने नहीं बल्कि पीएमओ में कार्यरत अधिकारियों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गुमराह किया था।
पार्टी के राज्यसभा सांसद रामचंद्र सिंह ने कहा, '2 जी जजमेंट के बाद लोग बयान दे रहे हैं कि उनके रुख की जीत हुई है और पूर्व सीएजी विनोद राय को निशाना बना रहे हैं... लेकिन फैसले पर गौर किया जाए तो आप पाएंगे कि तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के कार्यालय को कठघरे में खड़ा किया गया है।'
राज्यसभा में जजेडीयू के नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी पीएमओ के दो पूर्व सचिवों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करती है। क्योंकि स्पेशल जज सैनी ने उन पर सवाल उठाए हैं।
21 दिसंबर को आए फैसले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने पूर्व संचार मंत्री ए राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। जिसमें कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष मामले से संबंधित सबूत देने में असफल रहा है।
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जेडीयू ने कहा कि ये हैरान करने वाली बात है कि पूर्व कोल सेक्रेटरी हरीश गुप्ता को सजा मिलती है लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ कुछ भी नहीं किया जाता। जबकि उस पर उनके हस्ताक्षर थे।
रामचंद्र प्रसाद सिंह ने कहा, 'मैनें आईएएस के तौर पर काम किया है और उत्तर प्रदेश काडर का था। लोग हरीश गुप्ता के चरित्र के बारे में जानते हैं जो कोल सेक्रेटरी थे लेकिन उन्हें सजा दी गई।'
2जी मामले में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि ए राजा ने स्पेक्ट्रम लाइसेंस देने से जुड़ी चिट्ठियों में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को गुमराह किया था। सीबीआई ने कहा था कि कई महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व नीति और अंतिम तारीख से जुड़े मुद्दे शामिल हैं।
लेकिन स्पेशल सीबीआई जज ओ पी सैनी ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'ए राजा ने नहीं बल्कि पुलक चटर्जी ने टीकेए नायर से सलाह लेकर प्रधानमंत्री को भेजी गई ए राजा की चिट्ठी के सबसे प्रासंगिक और विवादित हिस्से को छुपाया था।'
जस्टिस सैनी ने अधिकारियों पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, 'अंत में मुझे इस दलील में कोई तथ्य नज़र नहीं आता कि प्रधानमंत्री को ए राजा की तरफ से गुमराह किया गया या फिर उनके सामने तथ्य गलत रखे गए।'
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