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कांग्रेस नेताओं के 'चपरासी' अब पार्टी को लेकर 'ज्ञान' देते हैंः मनीष तिवारी

'ऐसा लगता है कि 1885 में अस्तित्व में आई कांग्रेस और वर्तमान भारत के बीच परस्पर समन्वय में दरार आ गई है. आत्मनिरीक्षण की महती जरूरत है.'

Updated on: 27 Aug 2022, 01:06 PM

highlights

  • मनीष तिवारी ने आजाद के इस्तीफे के बाद कांग्रेस आलाकमान पर साधा निशाना
  • कहां आत्मनिरीक्षण की सलाह को यदि माना होता तो आज यह नौबत नहीं आती
  • बेलौस अंदाज में मनीष तिवारी ने कहा मैं कांग्रेस का किरायेदार नहीं, बल्कि सदस्य हूं

नई दिल्ली:

कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से गुलाब नबी आजाद के इस्तीफा देने के एक दिन बाद अब मनीष तिवारी के तेवर भी बदले-बदले नजर आ रहे हैं. आजाद के इस्तीफे पर मांगी गई प्रतिक्रिया के जवाब में मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने कांग्रेस नेतृत्व पर सीधा निशाना साधा. उन्होंने कहा कि चुनाव-दर-चुनाव मिल रही करारी पराजय के बाद आत्मनिरीक्षण की सलाह को यदि कांग्रेस नेतृत्व ने माना होता, तो वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) का इस्तीफा टाला जा सकता था. उन्होंने परोक्ष रूप से कांग्रेस के भटकाव पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 1885 से भारतीय राजनीति में केंद्रीय किरदार निभाने वाली कांग्रेस (Congress) और भारत (India) के परस्पर समन्वय में आईं दरारें अब स्पष्ट देखी जा सकती हैं. 

आत्मनिरीक्षण किया होता तो आज यह नौबत नहीं आती
मनीष तिवारी ने दिसंबर 2020 में हुई बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि 20 से अधिक कांग्रेसी नेताओं ने हार के बाद राजनीति की मुख्यधारा में कांग्रेस की वापसी के लिए सोनिया गांधी को पत्र लिखा था. इस पत्र में आत्मनिरीक्षण की मांग करते हुए भविष्य की राजनीति के लिए कई बातें की गईं थीं. पत्र में लिखी गई बातों को आमराय के बाद सोनिया गांधी को भेजा गया था. यदि उन बातों को मान लिया जाता, तो आज जैसी स्थिति कतई नहीं आती. उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है कि 1885 में अस्तित्व में आई कांग्रेस और वर्तमान भारत के बीच परस्पर समन्वय में दरार आ गई है. आत्मनिरीक्षण की महती जरूरत है.' उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कांग्रेसी नेताओं ने साफ शब्दों में कहा था कि स्थिति की गंभीरता को समझना होगा और उसके अनुरूप कदम भी उठाने होंगे.

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हम कांग्रेस के किरायेदार नहीं, बल्कि सदस्य हैं
मनीष तिवारी ने जी-23 समूह का नाम लिए बगैर कहा, 'दो साल पहले मेरे जैसे 23 कांग्रेसी नेताओं ने सोनिया गांधी की पत्र लिखा था. इसमें साफ-साफ शब्दों में कहा था कि पार्टी की स्थिति चिंताजनक है और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है. इस पत्र के बाद कांग्रेस को सभी विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. साफ है कि कांग्रेस और भारत अब एक तरह से नहीं सोचते हैं. किसी एक पक्ष ने अलग तरह से सोचना शुरू कर दिया है.' यह कहे जाने पर कि फिलवक्त वे कांग्रेस के सदस्य हैं, मनीष तिवारी ने तीखे अंदाज में कहा, 'हमें किसी से किसी तरह के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. मैंने 42 साल इस पार्टी को दिए हैं. मैं पहले भी कह चुका हूं कि हम इस संस्था (कांग्रेस) के किरायेदार नहीं हैं, बल्कि सदस्य हैं. अब अगर आप ही हमें बाहर करने की कोशिश कर रहे, तो यह अलग बात है. इसे बी हम अपनी तरह से देखेंगे.'

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वार्ड चुनाव तक नहीं लड़ पाने वाले दे रहे हैं 'ज्ञान'
गुलाम नबी आजाद के सोनिया गांधी को पांच पन्नों के लिखे पत्र और इस्तीफे पर पूछे गए सवाल पर मनीष तिवारी ने कहा, 'आजाद साहब ने पत्र में किया लिखा है, मैं उस पर नहीं जाना चाहता हूं. पत्र में लिखी गई बातों की आजाद साहब ही बेहतर व्याख्या कर सकते हैं. हालांकि बेहद हंसी आती है कि जो लोग अपने बूते वार्ड चुनाव तक नहीं लड़ सकते और कांग्रेस नेताओं के 'चपरासी' है, वह पार्टी को लेकर 'ज्ञान' देते हैं.' गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद ने भी अपने पत्र में इस बात का जिक्र किया था. आजाद ने अपने पत्र में राहुल गांधी का कई बार जिक्र कर उन्हें 'अपरिपक्व' करार दिया था. इसके साथ ही आजाद ने राहुल गांधी पर कांग्रेस के 'सलाहकार तंत्र' को ही बर्बाद करने का आरोप लगाया था.