मोदी सरकार रूस से खरीद रही AK-103 असॉल्ट राइफल्स
चीन से जारी सीमा विवाद और अफगानिस्तान में तालिबान राज के बीच हो रहे इस सौदे के तहत रक्षा मंत्रालय बड़ी संख्या में एके-103 असॉल्ट राइफलें (Assault Rifles) रूस से खरीदेगा.
highlights
- मोदी-पुतिन समझौते के तहत भारत में बननी थी राइफल्स
- अब रूस से सीधी खरीद कर रहा है भारतीय रक्षा मंत्रालय
- सेना को अत्याधुनिक बनाने की कवायद पर चल रहा काम
नई दिल्ली:
एस-400 (S-400) मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डील के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने रूस संग एक औऱ बड़ा रक्षा सौदा किया है. चीन से जारी सीमा विवाद और अफगानिस्तान में तालिबान राज के बीच हो रहे इस सौदे के तहत रक्षा मंत्रालय बड़ी संख्या में एके-103 असॉल्ट राइफलें (Assault Rifles) रूस से खरीदेगा. इस करार से परिचित सूत्रों के अनुसार इस घातक हथियार का एक बड़ा हिस्सा भारतीय वायुसेना (IAF) के हवाले किया जाएगा. यह करार आपातकालीन खरीद के प्रावधानों के तहत किया गया है. जानकारी मिल रही है कि सेना मेगा इंफ्रेट्री आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत हल्की मशीन गन, कार्बाइन और असॉल्ट राइफलों की खरीद कर रही है.
सौदे की आधिकारिक घोषणा होना बाकी
सीमा पार बढ़ रही चुनौतियों से निपटने के लिए मोदी सरकार ने आपातकालीन खरीद योजना शुरू की है. खासकर पिछले साल पूर्वी लद्दाख में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों से हिंसक संघर्ष के बाद भारतीय सेना को अत्याधुनिक बनाने के साथ हथियारों और डिफेंस सिस्टम खरीदने की कड़ी में तेजी आई है. अब रक्षा मंत्रालय रूस से असॉल्ट राइफलें खरीद रहा है. हालांकि यह सौदा कितने रुपए का है और कितनी संख्या में असॉल्ट राइफलें खरीदी जा रही हैं, इसको लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई हैं. सूत्रों की कहना है कि इसकी वजह यही है कि फिलहाल सौदे की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.
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भारत में इंसास की जगह लेंगी एके-103
गौरतलब है कि अक्टूबर 2017 में भारतीय सेना ने सात लाख राइफल, 44 हजार हल्की मशीनगन तथा करीब 44,600 कार्बाइन खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं द्वारा प्रस्तावित खरीद के प्रासंगिक विवरण उनके अपने या रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर डालने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. गौरतलब है कि भारत ने 2019 में रूस के साथ अमेठी में ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड प्लांट में 7.50 लाख एके-203 राइफल बनाने का करार किया था. हालांकि अभी तक कोरबा प्लांट में राइफल का निर्माण शुरू नहीं हो सका है. संभवतः इसी वजह से अब रक्षा मंत्रालय का 70 हजार राइफल सीधे रूस से खरीदनी पड़ रही हैं. सामरिक विशेषज्ञ बता रहे हैं कि रूसी एके-103 राइफल इंसास की जगह लेंगी.
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