जन्मदिन विशेष: राजनीतिक धुर विरोधी भी अटल जी की कार्यशैली के थे कायल
राजनीतिक जीवन के उतार चढ़ाव में उन्होंने आलोचनाओं के बाद भी अपने को संयमित रखा।
नई दिल्ली:
भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है।
राजनीति में धुर विरोधी भी उनकी विचारधारा और कार्यशैली के कायल रहे। राजनीतिक जीवन के उतार चढ़ाव में उन्होंने आलोचनाओं के बाद भी अपने को संयमित रखा।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी शिक्षक थे। उनकी माता कृष्णा जी थीं।
वैसे मूलत: उनका संबंध उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के बटेश्वर गांव से है लेकिन, पिता जी मध्य प्रदेश में शिक्षक थे। इसलिए उनका जन्म वहीं हुआ। लेकिन, उत्तर प्रदेश से उनका राजनीतिक लगाव सबसे अधिक रहा। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से वे सांसद रहे थे।
राजनीति में संख्या बल का आंकड़ा सर्वोपरि होने से 1996 में उनकी सरकार सिर्फ एक मत से गिर गई और उन्हें प्रधानमंत्री का पद त्यागना पड़ा। यह सरकार सिर्फ तेरह दिन तक रही। बाद में उन्होंने प्रतिपक्ष की भूमिका निभायी। इसके बाद हुए चुनाव में वे दोबारा प्रधानमंत्री बने।
उन्होंने सबसे पहले 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा।
बाद में 1957 में गोंडा की बलरामपुर सीट से जनसंघ उम्मीदवार के रूप में जीत कर लोकसभा पहुंचे। उन्हें मथुरा और लखनऊ से भी लड़ाया गया लेकिन हार गए। अटल जी ने बीस सालों तक जनसंघ के संसदीय दल के नेता के रूप में काम किया।
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी राजनीतिक कुशलता से बीजेपी को देश में शीर्ष राजनीतिक सम्मान दिलाया। दो दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों को मिलाकर उन्होंने राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) बनाया जिसकी सरकार में 80 से अधिक मंत्री थे, जिसे जम्बो मंत्रीमंडल भी कहा गया।
और पढ़ें: 28 सालों का अंधविश्वास तोड़कर सीएम योगी ने नोएडा का किया दौरा, अखिलेश ने कसा तंज
इस सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।
अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति में कभी भी आक्रमकता के पोषक नहीं थे। वैचारिकता को उन्होंने हमेशा तवज्जो दिया।
अटलजी मानते हैं कि राजनीति उनके मन का पहला विषय नहीं था। राजनीति से उन्हें कभी-कभी तृष्णा होती थी। लेकिन, वे चाहकर भी इससे पलायित नहीं हो सकते थे क्योंकि विपक्ष उन पर पलायन की मोहर लगा देता।
वे अपने राजनैतिक दायित्वों का डट कर मुकाबला करना चाहते थे। यह उनके जीवन संघर्ष की भी खूबी रही।
और पढ़ें: जयराम ठाकुर होंगे हिमाचल प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Lok Sabha Election 2024: PM मोदी ने नामांकन के लिए क्यों चुना यह खास दिन? सामने आई चौंकाने वाली वजह
-
Guru Asta 2024: आज गुरु होंगे अस्त, इन राशियों को होगा बंपर लाभ, होगी जबरदस्त कमाई
-
Angarak Yoga 2024: मंगल के गोचर से बना अंगारक योग, इन राशियों के जीवन में छा जाएगा अंधेरा
-
Vastu Tips For Kitchen: इस दिशा में होती है रसोई तो घर वाले हमेशा रहते हैं कंगाल