आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा- सुरक्षाकर्मियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती गलत सूचना है
आर्मी चीफ बिपिन रावत (Army Chief General Bipin Rawat) ने कहा कि आज के मौहाल में सुरक्षाकर्मियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती गलत सूचना है. उन्होंने कहा कि मीडिया का महत्वपूर्ण भूमिका है. ताकि गलत सूचना ना फैले.
नई दिल्ली:
आर्मी चीफ बिपिन रावत (Army Chief General Bipin Rawat) ने कहा कि आज के मौहाल में सुरक्षाकर्मियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती गलत सूचना है. उन्होंने कहा कि मीडिया का महत्वपूर्ण भूमिका है. ताकि गलत सूचना ना फैले.
लाइन ऑफ एक्चुआल कंट्रोल पर चीन-भारत के संबंध को लेकर सेना प्रमुख ने बिपिन रावत ने कहा कि वुहान शिखर सम्मेलन के बाद उच्च स्तरीय से रणनीतिक गाइंडेंस बनाया गया था. उपद्रवियों तत्वों के हिंसक काम करने के तकनीकी को कार्यात्मक स्तर पर समझ विकसित की गई थी. जिससे एलओसी पर शांति और सद्भाव कायम रहे. एलओसी की हर चुनौती को निपटने के लिए उचित प्रबंध किया गया है. एलओसी दोनों देश के विभाजन का वास्तविक रेखा है. यहां शांति बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है. लेकिन हम दोनों देश इसको लेकर हमेशा उचित प्रबंध करते हैं और शांति, सद्भाव और सौहार्द्र कायम रहता है.
Army Chief Gen Bipin Rawat on situation between India&China on Line of Actual Control: Post Wuhan,the strategic guidance from the highest level & understanding of the nuisances of working mechanism at functional level has enabled management of challenges along the LAC. (file pic) https://t.co/AwZC75HQTI pic.twitter.com/1lQFwn91uo
— ANI (@ANI) December 20, 2019
बता दें कि भारत-चीन सीमा विवाद पर 22वें दौरे की दो दिवसीय वार्ता होने जा रही है. वार्ता शनिवार से शुरू होगी. चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री वांग यी करेंगे, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सीमा वार्ता में भारतीय टीम के प्रमुख होंगे.
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चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने शुक्रवार को कहा कि वांग चीन 20-21 दिसंबर को डोभाल के साथ सीमा वार्ता के 22 वें दौर का नेतृत्व करेंगे.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यहां मीडिया को बताया कि चीन के विशेष प्रतिनिधि वांग 20-21 दिसंबर को डोभाल के साथ सीमा वार्ता के 22 वें दौर की चर्चा करेंगे.
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उन्होंने आगे कहा कि दोनों विशेष प्रतिनिधि दोनों नेताओं (प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति शी जिनपिंग) की सहमति पर आगे बढ़ेंगे और सीमा के निर्धारण, सीमा प्रबंधन तथा समाधान के लिए व्यावहारिक सहयोग पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे.
(इनपुट भाषा)
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