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'समाजवादी विकास' को चैलेंज देता 'राष्ट्रवादी विकास', अखिलेश सरकार के हर प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े करती योगी सरकार

उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ पूर्व की समाजवादी सरकार की विकास की सभी बड़ी परियोजनाओं की समीक्षा का आदेश दे रहे हैं। मौजूदा सरकार के काम-काम से ज्यादा योगी सरकार की दिलचस्पी पिछली सरकार की विकास परियोजनाओं की जांच में है।

Updated on: 21 Apr 2017, 06:31 PM

highlights

  • गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की समीक्षा का आदेश देने के बाद अब योगी ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे की जांच के आदेश दे दिए हैं
  • योगी ने इसके अलावा समाजवादी पार्टी द्वारा शुरु किए गए प्रदेश के सबसे बड़े सम्मान यश भारती की जांच का भी आदेश दे दिया है
  • योगी सरकार अखिलेश सरकार की सभी बड़ी परियोजनाओं पर सवाल उठाकर पिछली सरकार की विश्वसनीयता को कटघरे में खड़ा करना चाहती है

New Delhi:

उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ पूर्व की समाजवादी सरकार की विकास की सभी बड़ी परियोजनाओं की समीक्षा का आदेश दे रहे हैं। मौजूदा सरकार के काम-काम से ज्यादा योगी सरकार की दिलचस्पी पिछली सरकार की विकास परियोजनाओं की जांच में है।

सबसे पहले अखिलेश यादव सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की समीक्षा का आदेश देने के बाद अब योगी ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे की जांच के आदेश दे दिए हैं।

एक्सप्रेसवे अखिलेश की महत्वाकांक्षी परियोजना में से एक थी। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने इसे मुद्दा बनाते हुए समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में हुए विकास से जोड़कर दिखाया था। विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश ने कहा था, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अगर इस एक्सप्रेस वे पर चलेंगे तो वह समाजवादी पार्टी को ही वोट देंगे।'

चुनाव में अखिलेश यादव की बुरी तरह हार हुई और फिर योगी सरकार की यह परियोजना भी जांच के घेरे में आ गई।

और पढ़ें:अखिलेश के प्रोजेक्ट आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे की जांच के लिए योगी आदित्यनाथ ने दिये आदेश

दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अखिलेश सरकार की सभी बड़ी परियोजनाओं पर सवाल उठाते हुए पिछली सरकार की विश्वसनीयता को कटघरे में खड़ा करने की दोतरफा रणनीति पर आगे बढ़ रही है।

पहला अखिलेश सरकार की बड़ी और महत्वाकांक्षी विकास परियोजनाओं को जांच के घेरे में लाकर यह बताना चाहती है कि पिछली सरकार के दौरान किए गए सभी बड़े काम भ्रष्टाचार के दायरे में रहे हैं।

दूसरा योगी सरकार पिछली सरकार के काम को सावालों के घेरे में रखते हुए अपनी सरकार की घोषणाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है, जिसमें किसी तरह का भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। योगी सरकार यह साफ कर देना चाहती है कि अखिलेश सरकार का 'समजावादी विकास', सवालों के घेरे में रहा है और उनकी सरकार राज्य के लोगों को वैसा विकास देने में सक्षम है, जिसमे कोई 'भ्रष्टाचार और जातीय एवं धार्मिक भेदभाव' नहीं है।

योगी सरकार 'समाजवादी विकास' को मोदी के 'सबका साथ-सबका विकास' से विस्थापित करना चाहती है।

जांच के घेरे में यश भारती सम्मान

योगी ने इसके अलावा समाजवादी पार्टी द्वारा शुरु किए गए प्रदेश के सबसे बड़े सम्मान यश भारती की जांच का भी आदेश दे दिया है।

यश भारती को लेकर पहले से भी विवाद उठते रहे हैं। प्रदेश सरकार कला, संस्कृति, साहित्य और खेलकूद में अग्रणी रहने वाले लोगों को यह पुरस्कार देती है और इसके तहत 11 लाख रुपये और जीवन भर 50 हजार रुपये की पेंशन राशि दी जाती है।

2016 में अखिलेश यादव ने एक बार पुरुस्कार वितरण समारोह का संचालन करने वाली महिला के काम से खुश होकर मंच से ही उसे भी यह पुरस्कार देने की घोषणा कर दी थी। 

आदित्यनाथ ने कहा कि गलत लोगों को पुरस्कार देकर इस सम्मान की गरिमा नहीं गिरानी चाहिए। जांच में अनियमितता पाए जाने के बाद कई लोगों को हर महीने मिलने वाली पेंशन राशि रोकी जा सकती है।

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इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अखिलेश सरकार की समाजवादी पेंशन योजना, स्मार्टफोन योजना और साइकिल ट्रैक प्रोजेक्ट की समीक्षा किए जाने का आदेश दे चुके हैं। 

योगी सरकार उत्तर प्रदेश में समाजवादी विकास मॉडल को राष्ट्रवादी विकास मॉडल से विस्थापित करने का खाका खींच चुकी है। ऐसे में आने वाले दिनों में माजवादी पार्टी के कार्यकाल में विकास की पहचान रहे अन्य प्रोजेक्ट भी जांच के घेरे में आ सकते हैं।

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