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सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का फैसला, चुनाव में धर्म, जाति, संप्रदाय के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंसान और भगवान का रिश्ता एक निजी चुनाव है और इसमें किसी को दखल देने का हक नहीं है।

Updated on: 02 Jan 2017, 03:31 PM

नई दिल्ली:

पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व केस की कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सोमवार को कहा कि कोई भी नेता धर्म, जाति या संप्रदाय के आधार पर वोट नहीं मांग सकता। सुप्रीम कोर्ट की 7 सदस्यीय खंडपीठ ने यह आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव के दौरान जाति, भाषा, संप्रदाय या धर्म के आधार पर वोट मांगना 'चुनाव कानून प्रावधान' के अंतर्गत 'भ्रष्ट आचरण' माना जाएगा। कुल 7 सदस्यीय खंडपीठ ने मुख्य न्यायधीश टीएस ठाकुर और अन्य तीन न्यायधीशों की सहमति से यानि कि 4:3 के अनुपात से यह आदेश पारित किया है। 

साथ ही कोर्ट ने कहा कि इंसान और भगवान का रिश्ता एक निजी चुनाव है और इसमें किसी को दखल देने का हक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई उम्मीदवार ऐसा करता पाया जाता है तो उसका निर्वाचन रद्द हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष अभ्यास है और यह ऐसा ही जारी रहना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का यह अहम फैसला तब आया है जब उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं।