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RBI पूर्व गवर्नर राजन ने कहा- नोटबंदी पर सरकार को नुकसान के बारे में किया था आगाह

आरबीआई (रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन कहा है कि वो नोटबंदी के पक्ष में कभी नहीं थे और उन्होंने सरकार को इसके अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले गलत प्रभाव के बारे में आगाह भी किया था।

Updated on: 05 Sep 2017, 12:05 AM

नई दिल्ली:

आरबीआई (रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन कहा है कि वो नोटबंदी के पक्ष में कभी नहीं थे और उन्होंने सरकार को इसके अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले गलत प्रभाव के बारे में आगाह भी किया था।

राजन आरबीआई के गवर्नर रहे हैं और फरवरी 2016 में जब उनसे नोटबंदी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने 500 और 1000 रुपये के नोटों को प्रतिबंदित करने पर अपनी राय रखी थी।

राजन ने अपनी पुस्तक 'आय डू ह्वाट आय डू: ऑन रिफार्म्स रिटोरिक एंड रिजॉल्व' में इन बातों का खुलासा किया है।

उन्होंने कहा है, 'मेरे कार्यकाल के दौरान नोटबंदी को लेकर कोई फैसला लेने के बारे में कभी नहीं कहा गया।'

राजन के इस खुलासे से सरकार के दावे पर सवाल उठ रहे हैं जिसमें उसने कहा था कि 8 नवंबर को हुई नोटबंदी की घोषणा के महीनों पहले ही योजना बन रही थी।

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राजन 4 सितंबर, 2013 से लेकर 4 सितंबर 2016 तक आरबीआई के गवर्नर रहे।

उन्होंने अपनी किताब में लिखा है, 'सरकार ने फरवरी 2016 में मुझसे नोटबंदी के बारे में मेरी राय जाननी चाही थी, जिसका मैंने मौखिक रूप से जवाब दिया था। हो सकता है कि उसका लंबा प्रभाव पड़े लेकिन मैंने महसूस किया कि संभावित अल्पकालिक आर्थिक नुकसान दीर्घकालिक फायदों पर भारी पड़ सकते हैं। संभवत: इसके मुख्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के बेहतर विकल्प और भी थे। मैंने अपना पक्ष जोरदार तरीके से रखा था।'

उन्होंने दावा किया है कि सरकार नोटबंदी से होने वाले संभावित नुकसान और फायदे के बारे में जानकारी दी गई थी।

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किताब में उन्होंने कहा है, 'यदि सरकार फिर भी नोटबंदी की दिशा में आगे बढ़ना चाहती है तो इस स्थिति में नोट में इसकी आवश्यक तैयारियों और इसमें लगने वाले समय का भी ब्योरा दिया था.रिजर्व बैंक ने आधी-अधूरी तैयारी की स्थिति में परिणामों के बारे में भी बताया था।'

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