कोरोना मरीजों में बढ़ा टीबी संक्रमण का मामला, सरकार ने दिये ये आदेश
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को सभी कोविड -19 पॉजिटिव मरीजों के लिए टीबी की जांच पर अपनी सिफारिशों को एक बार फिर से दोहराया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड -19 से संक्रमित मरीजों में टीबी के बढ़ते मामलों की रिपोर्ट के बाद एडवाइजरी जारी की है.
नई दिल्ली :
अभी देश कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से उबर भी नहीं पाया था कि देश में कोरोना वायरस महामारी के दौरान टीबी (तपेदिक) के मामलों में भारी संख्या में बढ़ोत्तरी देखी गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को सभी कोविड -19 पॉजिटिव मरीजों के लिए टीबी की जांच पर अपनी सिफारिशों को एक बार फिर से दोहराया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड -19 से संक्रमित मरीजों में टीबी के बढ़ते मामलों की रिपोर्ट के बाद एडवाइजरी जारी की है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आधिकारिक बयान के अनुसार, 'यह स्पष्ट किया जाता है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा सभी कोविड-19 पॉजीटिव मरीजों के लिए टीबी की जांच और टीबी से ठीक हुए सभी रोगियों के लिए कोरोना जांच की सिफारिश की गई है. अगस्त 2020 की शुरुआत में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बेहतर निगरानी और टीबी एवं कोविड-19 के मामले को खोजने के प्रयासों में तेजी लाने के लिए कहा गया है.'
सरकार ने इसके अलावा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी टीबी-कोरोना और टीबी-आईएलआई/एसएआरआई की बायो डायरेक्शन स्क्रीनिंग की जरूरत को दोबारा शुरू करने के लिए एक बार फिर से सलाह दी है. आपको बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से यह एडवाइजरी ऐसे समय में जारी की गई है जब कोविड-19 संबंधित प्रतिबंधों के कारण 2020 में टीबी के मामलों में लगभग 25% की कमी आई है. केंद्र ने कहा कि ओपीडी सेटिंग्स में गहन मामलों की जांच के साथ-साथ सभी राज्यों द्वारा समुदाय में सक्रिय मामलों की जांच अभियानों के माध्यम से इस प्रभाव को कम करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं.
कहीं कोरोना की वजह से तो नहीं हुई TB में बढ़ोत्तरी
आपको बता दें कि साल 2020 में आई कोरोना महामारी से पहले टीबी के नोटिफिकेशन लगातार आते थे कि देश में टीबी के मामले बढ़े हैं या घटे हैं. मार्च 2020 में कोरोना महामारी की वजह से देश में लगाई गई पाबंदियों के बाद से देश में टीबी के नोटिफिकेशन में करीब 25 फीसदी की कमी आई थी, लेकिन सभी राज्यों द्वारा समुदाय में ओपीडी सेटिंग्स में गहन केस फाइंडिंग के साथ-साथ एक्टिव केस फाइंडिंग अभियानों के माध्यम से इस प्रभाव को कम करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं.
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